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यही स्थिति इस समय लिथुआनिया के साथ बनी हुई है। लिथुआनिया ने ताइवान की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ाया तो चीन ने उसके साथ अपने राजनयिक संबंधों को कम कर दिया है। चीन ने लिथुआनिया को चेतावनी भी दी है कि वह तुरंत ताइवान से रिश्ते छोड़े वरना आगे अंजाम और बुरा होगा।
ताइवान से दोस्ती का हाथ बढ़ाने पर चीन ने लिथुआनिया से नाराजगी जताई है। चीन ने लिथुआनिया के साथ अपने राजनयिक संबंधों को घटाते हुए डाउनग्रेड भी कर दिया है। चीन ने यह फैसला ताइवान लिथुआनिया में प्रतिनिधि कार्यालय खोलने की इजाजत देने की वजह से लिया है। दूसरी ओर, लिथुआनिया ने चीन की नाराजगी की परवाह नहीं करते हुए ताइवान के साथ अपने संबंध रखने के अधिकार का बचाव किया है। लिथुआनिया की ओर से कहा गया है कि वह वन-चाइना पॉलिसी का सम्मान भी करता है।
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विशेषज्ञों का मानना है कि ताइवान का लिथुआनिया में नया प्रतिनिधि कार्यालय सामान्य आधिकारिक राजनयिक संबंधों के समान नहीं है। हालांकि, इस पहल को ताइवान और लिथुआनिया के बीच बढ़ते संबंधों के संकेत के तौर पर देखा जा रहा है। चीन को मिर्ची इस लिए भी लगी है, क्योंकि लिथुआनिया में खोले गए इस नए कार्यालय का नाम चीनी-ताइपे रखने की जगह ताइवान कार्यालय रखा गया है। पिछले 18 वर्षों में यूरोप में यह पहला राजनयिक कार्यालय है।