scriptबेघर हैं ये आठ सौ आंगनवाड़ी केंद्र, खपरेल के झोपड़ीनुमा भवनों मिल रही शिक्षा | These eight hundred anganwadi centers are building less | Patrika News
अशोकनगर

बेघर हैं ये आठ सौ आंगनवाड़ी केंद्र, खपरेल के झोपड़ीनुमा भवनों मिल रही शिक्षा

336 आंगनवाड़ी किराए के भवनों और पांच सैकड़ा अन्य सरकारी भवनों में हो रही हैं संचालित, 1.40 लाख रुपए हर महीने जा रहा है किराया।

अशोकनगरJan 24, 2018 / 05:17 pm

आसिफ सिद्दीकी

these-eight-hundred-anganwadi-centers-are-building-less

अशोकनगर। जिले में संचालित आंगनवाड़ी केन्द्रों में से आठ सैकड़ा से अधिक केन्द्रों के पास भवन नहीं हैं। ये केन्द्र या तो किराए के भवनों में चल रहे हैं या फिर अन्य सरकारी भवन जैसे स्कूल, पंचायत भवन और सामुदायिक भवन आदि में। पत्रिका में जब ग्रामीण क्षेत्रों की आंगनवाडिय़ों का जायजा लिया तो ये केन्द्र छोटे-छोटे कच्चे कमरों में संचालित होते पाए गए। उल्लेखनीय है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के तहत जिले में कुल 1089 आंगनवाडिय़ां संचालित हैं। इनमें से केवल 263 के पास ही स्वयं का भवन है। शेष 826 आंगनवाडिय़ां भवन विहीन हैं।

जर्जर भवनों में तराश रहे भविष्य
भवन विहीन आंगनवाडिय़ों में से 490 अन्य सरकारी भवनों में संचालित की जा रही हैं। शेष 336 किराए के कमरों में चल रही हैं। जहां बच्चों के लिए न तो कमरे हैं और न ही सुविधाएं। विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार आंगनवाड़ी भवनों के किराए के रूप में हर महीने करीब 1.40 लाख रुपए की राशि खर्चनी पड़ रही है। छोटे-छोटे अंधेरे कच्चे कमरों में चल रहे इन केन्द्रों पर बच्चों को ढंग से बैठ पाने तक की जगह नहीं है। औपचारिक रूप से कुछेक बच्चे इन आंगनवाडिय़ों में आते हैं। कई जगहों पर भवन बनने के बाद भी आंगनवाडिय़ों को नहीं मिले हैं। इससे पहले ही लाखों रुपए की लागत से बने ये भवन क्षतिग्रस्त होकर बेकार हो चुके हैं।

उपयोग से पहले ही क्षतिग्रस्त हुआ भवन
दोपहर करीब 12.30 बजे पड़रिया में आंगनवाड़ी के बच्चे प्राथमिक स्कूल में बैठे मिले। यहां पास ही आंगनवाड़ी का भवन करीब 3-4 साल पहले से बनकर तैयार है। लेकिन अभी तक यह हेंडओवर नहीं किया गया है। उपयोग से पहले ही भवन क्षतिग्रस्त होकर खंडहर हो गया है। स्कूल के बरामदे में स्कूल के बच्चों के साथ ही आंगनवाड़ी के बच्चे भी बैठे थे। यहां सहायिका रामवती शर्मा व आंनगवाड़ी दीदी रितु शर्मा उपस्थित मिलीं। पूछने पर बताया कि कार्यकर्ता पूजा शर्मा छुट्टी पर हैं। आंगनवाड़ी पर ५६ बच्चे दर्ज हैं, जिनमें से केवल 10-12 बच्चे ही उपस्थित मिले।

बांसापुर में छोटे से कमरे में चलता है केन्द्र
ग्राम बांसापुर में दोपहर 1.10 बजे आंगनवाड़ी केन्द्र खाली मिला। यह केन्द्र आंगनवाड़ी सहायिका हल्को बाई अहिरवार के निवास पर एक छोटे से कमरे में लग रहा है। जहां बच्चों को ढंग से बैठने की जगह तक नहीं है। जबकि केन्द्र पर लगभग एक सैंकड़ा बच्चे दर्ज हैं। यहां सहायिका ने बताया कि कार्यकर्ता ममता राजपूत अभी चली गईं, उन्हें बुखार था। बच्चों के बारे में पूछने पर बताया कि खाना बंट रहा है, लेकिन खाना वहीं रखा था। कुछ देर बार यहां तीन बच्चे आकर बैठ गए। सहायिका ने बताया कि उन्हें ठाकुरों के कुछ बच्चे यहां नहीं आते हैं। पढ़ी-लिखी न होने के कारण सहायिका आंगनवाड़ी दर्ज व उपस्थित बच्चों की सही जानकारी नहीं दे पाई। केन्द्र पर ऊपर की ओर एक छोटा सा बोर्ड लगा है, जो मुश्किल से दिखता है और इस पर केन्द्र क्रमांक भी नहीं लिखा है।

उप केन्द्र भी किराए के कमरे में
ग्राम गोरा में संचालित उप केन्द्र पर भी किराए के कमरे में लग रहा है। यहां आंगनवाड़ी कार्यकर्ता लता शर्मा बच्चों को दलिया बांटती हुई मिली। बच्चे दालात में घूम रहे थे। कार्यकर्ता ने बताया कि अभी लंच चल रहा है। केन्द्र पर शाला पूर्व शिक्षा के तहत 12 बच्चे दर्ज हैं और कुल दर्ज बच्चों की संख्या 32 है। यहां भी भवन के अभाव में केन्द्र एक छोटे से कमरे में चल रहा है।

एक सैकड़ा भवनों की स्वीकृति मिली
जिले में आंगनवाड़ी भवनों के निर्माण के लिए एक सैंकड़ा भवनों की स्वीकृति वर्ष 2017-18 में मिली है। आठ सौ भवन विहीन आंगनवाडिय़ों में से केवल सौ को भवन की स्वीकृति ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। यदि इस गति से काम हुआ तो भी सभी आंगनवाडिय़ों को भवन मिलने में आठ साल का समय लग जाएगा। स्वीकृत भवनों में ईसागढ़ में 21, मुंगावली में 28, चंदेरी में 26 व अशोकनगर ग्रामीण में 26 भवनों के निर्माण की स्वीकृति मिली है। प्रत्येक भवन की लागत 7.80 लाख रुपए है। पूर्व में बीआरजीएफ योजना के तहत आंगनवाड़ी भवन निर्माण के लिए राशि जारी की गई थी, लेकिन भवनों का निर्माण नहीं हो सका।

वर्जन
— पंचायतों ने जिन बिल्डिंगों को अधूरा छोड़ दिया है और भवन खंडहरों में तब्दील हो गए हैं, उन पंचायतों से राशि वसूल की जा रही है। वहीं कई पंचायतों से दोबारा काम भी शुरू करा दिया है। स्वीकृत स्कूल और आंगनवाड़ी भवन यदि बनकर तैयार नहीं हुए हैं और राशि खर्च हो चुकी है तो पंचायतों से राशि वसूल की जाएगी।
सुरेशकुमार शर्मा, सीईओ जिला पंचायत अशोकनगर

Hindi News / Ashoknagar / बेघर हैं ये आठ सौ आंगनवाड़ी केंद्र, खपरेल के झोपड़ीनुमा भवनों मिल रही शिक्षा

ट्रेंडिंग वीडियो