महिला आयोग के संज्ञान लेते ही जिला प्रशासन ने एक प्रेस नोट जारी कर जांच संबंधी मामले को नकार दिया। वहीं, अपनी ही बात पर अगले दिन स्वास्थ्य विभाग के CMHO डॉ नीरज छारी भी पलटते नजर आए। जबकि, 2 दिन पहले ही उन्होंने बाहर से आई नृत्यांगना की जांच करने का दावा किया था और लगभग 10 एचआईवी जांच करने की बात भी कही थी।
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करीला मेले में पहुंचते हैं दूर दूर से लाखों श्रद्दालु
दरअसल, रंग पंचमी पर लगने वाला करीला मेला जिसमें लाखों श्रद्धालु मां जानकी के दर्शन करने के लिए पहुंचते हैं। जहां श्रद्धालुओं की मन्नत पूरी होने के दौरान नृत्यांगनाओं से नृत्य कराया जाता है। इसी उद्देश्य से दूर दराज से नृत्यांगना नृत्य करने के लिए मेले में आती हैं। लेकिन जिला प्रशासन का यह तानाशाही रवैया इन नृत्यांगनाओं की एचआईवी जांच कराना उनके अधिकारों का उलंघन है। ये भी बता दें कि, ये वो स्थान है, जहां माता सीता ने लव और कुश को जन्म दिया था। जन्म के बाद स्वर्ग की अप्सराएं इस पावन घड़ी पर नृत्य करने इसी धाम पर आई थी, तब से ही करीला धाम पर मन्नत पूरी होने के बाद राई नृत्य की परंपरा है।