यहां बता दें कि पिछले साल 21 अप्रैल, 22 को और इसके पहले 6 जनवरी, 21 को जिले को जल अभावग्रस्त घोषित किया गया था। इस बाद दिसंबर में ही पानी की भयंकर कमी नजर आ रही है। कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि शहरी व ग्रामीण क्षेत्र सहित जिले की संपूर्ण भौगोलिक सीमा में सभी प्रकार के अशासकीय व निजी नलकूप खनन पर प्रतिबंध लगा दिया है। सार्वजनिक सड़कों से गुजरने वाली बोरिंग मशीनों को छोड़कर जिले की सीमा में कोई भी बोरिंश मशीन एसडीएम की अनुमति के बिना न तो प्रवेश कर सकेगी और न ही कोई नया नलकूप खनन कर सकेगी।
यह स्थिति क्यों बनी
पीएचई विभाग के अफसरों के मुताबिक जिले में इस समय 30 मीटर भू-जल स्तर होना चाहिए था, लेकिन औसत रूप से यह घटकर 40 मीटर तक पहुंच गया है। यानी भू-जल स्तर में 10 मीटर की गिरावट आई हैं। कहीं-कहीं तो भू-जल स्तर 50 मीटर यानी 166 फीट तक घट चुका है। जबकि किसानों का कहना है कि ज्यादातर जगहों पर ट्यूबवेलों में 200 फीट तक पानी नहीं मिल रहा। इससे जिले में अब कोई भी ट्यूबवेल 350 फीट से कम नीचे नहीं हो रहा है। कई लोगों ने तो 500 से 600 फीट तक ट्यूबवेल खनन कराए हैं। कचनार क्षेत्र में पहले 70 फीट पर पानी निकल आता था लेकिन अब 250 फीट तक भी पानी नही निकल रहा है।
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बिना अनुमति नलकूप खोदा तो एफआईआर होगी, दो साल की जेल का भी प्रावधान
– कलेक्टर ने आदेश में कहा है कि प्रत्येक राजस्व व पुलिस अधिकारी को प्रतिबंधित अवधि में जिले में अवैध रूप ने नलकूप खनन करते बोरिंग मशीन पाए जाने पर एफआइआर दर्ज कराने का अधिकार होगा।
– सभी एसडीएम को उनके क्षेत्र में अपरिहार्य कारणों के लिए व अन्य प्रयोजनों हेतु उचित जांच बाद अनुमति देने प्राधिकृत किया जाता है, शासकीय योजनाओं के नलकूप खनन पर यह प्रतिबंध लागू नहीं रहेगा।
– मप्र पेयजल परिरक्षण अधिनियम के तहत इस अधिसूचना का उल्लंघन करने पर दो वर्ष तक का कारावास या दो हजार रुपए तक का अर्थदंड या फिर दोनों से दंडित करने का प्रावधान है।
– फसलों की सिंचाई के लिए किसान खेतों में नलकूप खनन करा रहे हैं और इससे जिले में रोजाना बड़ी संख्या में नलकूप खनन हो रहे हैं, साथ ही कई बोरिंग मशीन जिले में संचालित हैं।
इनका कहना है
30 मीटर भू-जलस्तर होना था, लेकिन घटकर 40 मीटर तक पहुंच गया है। वहीं कई जगहों पर 50 मीटर तक भी भू-जलस्तर पहुंच चुका है। इसी तरह लगातार जलस्तर घटता रहा तो जल संकट की समस्या हो सकती है।
-एनएस भूरिया, कार्यपालन यंत्री पीएचई