यह गांव उत्तर प्रदेश के जनपद अमरोहा के गजरौला ब्लाक से करीब 10 किमी दूर है। गंगा तट के थोड़े फासले पर बसा यह गांव पपसरा खादर पहलवानों का गांव भी कहलाता है। आठ हजार की आबादी वाले इस गांव में कई बड़े पहलवान ऐसे हैं, जिनका नाम दूसरे राज्यों में भी है। गांव के सैयद उर्फ भूरा ने अभी 15 इस साल की उम्र में अखाड़े में दांवपेंच सीखने शुरू कर दिए। ऐसे ही यासीन पहलवान हैं। उनके चाचा दीनू भी नामी पहलवान रहे हैं।
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70 साल से दीनू गांव में जगा रहे पहलवानी की अलखलगभग 70 साल पहले दीनू ने गांव में पहलवानी की अलख जगाई थी। दीनू के चाचा पहलवानी करते थे। इसी से दीनू को भी इसका खुमार चढ़ा। इसी बीच दीनू के चाचा का निधन हो गया। इसके बाद दीनू ने गांव के अफसर और हिम्मत पहलवान से पहलवानी के गुर सीखे। अमरोहा केसरी का खिताब प्राप्त करने वाले यासीन व सैयद ने अपना दमखम दिखाते हुए दूसरे राज्यों के पहलवानों को भी धूल चटाई है।
बिहार, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, पंजाब, उत्तराखंड और दिल्ली के अलावा नेपाल में भी विशाल कुश्ती आयोजनों के दौरान यासीन ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए पहलवानों को मात दी है। पपसरा के ही जावेद और कपिल भी कुश्ती में गांव ही नहीं जिले का नाम भी रोशन कर रहे हैं। आलम यह है कि शरीर का संतुलन संभालने की उम्र होते ही गांव के किशोर को अखाड़े में जाकर दांव-पेंच सीखने पड़ते हैं। यह मजबूरी नहीं बल्कि परंपरा है।
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मेरठ केसरी से भिड़ चुके हैं पपसरा के यासीनगाव पपसरा खादर निवासी मोहम्मद यासीन मेरठ मंडल के सबसे बड़े पहलवान दिलशाद से भी भिड़ चुके हैं। हालांकि इस कुश्ती में दोनों पहलवान बराबर पर रहे थे। उनकी यह भिड़ंत चंदौसी में एक बड़े कुश्ती समारोह में हुई थी।
लगभग दो साल पहले चकनवाला रोड पर विराट एकता कुश्ती दंगल में हरियाणा के पहलवान मोनू ने पहले ही दिन अमरोहा के पहलवानों को चैलेंज किया था। इसके बाद पपसरा खादर के यासीन को उसके मुकाबले में उतारा गया। इसमें यासीन ने हरियाणा के पहलवान का गुरूर तोड़ते हुए उसे अपने निकाल दांव, लोड दांव, कला जंग, हिरानी दांव, कैंची दांव, धोबी पछाड़ दांव से धूल चटाई।