पालिका दफ्तार में बैठे थे एसडीएम दरअसल, एसडीएम विजय शंकर रविवार सुबह 11 बजे पालिका दफ्तर में बैठे हुए थे। वह धूप में बैठे सरकारी काम निपटा रहे थे। कुछ देर बाद उन्होंने अधीनस्थों को चाय मंगवाने को कहा। चाय का ऑर्डर देने पर दो मासूम बच्चे चाय की केतली और कप लेकर वहां पहुंचे। एसडीएम ने चाय तो ले ली लेकिन वह उन्हें देखकर परेशान हो गए। उन्होंने मासूम बच्चों के हाथ में चाय देखकर उनकी पारिवारिक स्थिति को समझने की कोशिश की।
90 रुपये मिलते हैं दुकान पर पूछताछ में एक बच्चे ने अपना नाम महराब (10) जबकि दूसरे ने अपना नाम मोहम्मद जैद (11) बताया। महराब ने बताया कि उसके पिता का नाम नूर उल जमा था। उनकी गंभीर बीमारी से मौत हो गई थी। उस समय उसकी उम्र छह माह थी। संपत्ति के नाम पर मोहल्ला काला शहीद में उनका एक छोटा सा मकान है। उसकी मां तबस्सुम सिलाई करके आठ भाई-बहनों का पेट भरती हैं। इसमें उनका गुजारा नहीं होता। इस वह से वह 90 रुपये प्रतिदिन की मजूदरी पर चाय की दुकान पर बर्तन साफ करता है।
पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा है मोहम्मद जैद वहीं, मोहम्मद जैद ने कहा कि वह पांच भाई-बहनों में सबसे छोटा है। उसके पिता ठेले पर पूड़ी सब्जी बेचने का काम करते हैं जबकि मां जाहिर की मौत हो चुकी है। उसे दुकान पर काम करने के रोज 70 रुपये मिलते हैं। उनकी महानी सुनकर एसडीएम को दिल पसीज गया। उन्होंने दोनों बच्चों को गोद लेने का फैसला किया। उन्होंने दोनों बच्चों की पढ़ाई के लिए बीएसए गौतम प्रसाद को फोन करके स्कूल में एडमिशन कराने को कहा।