उन्होंने कहा कि विशेषकर बसंत पंचमी के दिन जो लोग धूमधाम से बसंत का त्यौहार मनाते हैं उनको यह याद करवाना है कि बसंत पंचमी के दिन ही चौदह वर्षीय हिंदू बालक ने अपना सिर दिया था, धर्म नहीं छोड़ा था। उसका आधा शरीर जमीन में गाड़कर लाहौर के मुगलों के शासन में पत्थर मारे गए और फिर सिर काट दिया गया। उसका यही उद्घोष था कि मैं मुसलमान नहीं बनूंगा। हिंदू रहते ही बलिदान दूंगा।
पूर्व मंत्री ने कहा कि इसके साथ यह भी याद रखना है कि 14 फरवरी को ही पुलवामा में सीआरपीएफ के 44 जवान शहीद हुए थे। आतंकियों ने उन पर हमला किया था। हमारा यह राष्ट्रीय कर्तव्य है कि केवल बसंत का त्यौहार अपनी खुशियों के लिए मनाकर न रुकें, अपितु उन्हें याद करें जिन्होंने धर्म और देश के लिए बलिदान दिया था। शहीदों को याद करना ही ईश्वर की और भारत माता की सच्ची पूजा है।