तालिबान ने दावा किया था कि इस बार हमारा शासन बेहतर और समावेशी होगा। हम 1996 से 2001 के बीच पुराने शासन से अलग तस्वीर पेश करेंगे। मगर जैसे-जैसे दिन बीत रहे हैं, तालिबानी अपने क्रूर तालिबानी चेहरे की खुद नुमाइश कर रहे हैं। उनके फरमान और उनकी हरकतेें दोनों ही दुनियाभर में आलोचना की वजह बने हुए हैं।
-
इसी क्रम में तालिबान ने ऐलान किया है कि वह अफगानिस्तान में फांसी देने, अंग भंग करने जैसी बर्बर सजाएं देना जारी रखेगा। दुनियाभर के तमाम देशों के साथ-साथ अमरीका ने भी इसकी अभी निंदा की है और चेतावनी दी है कि तालिबान की कथनी और करनी दोनों पर उसकी नजर है।
अमरीकी विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने शरिया कानूनों को लागू करने पर तालिबान के हाल में आए बयान पर अपनी सख्त प्रतिक्रिया जाहिर की है। प्राइस ने कहा, तालिबान का शरिया कानून मानवाधिकारों का उल्लंघन करता है। अमरीका अफगानिस्तान में मानवाधिकार सुनिश्चित करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय के साथ काम कर रहा है।
नेड प्राइस ने कहा, हम न केवल तालिबान के बयान पर बल्कि अफगानिस्तान में उसकी कार्रवाइयों पर भी नजर रखे हुए हैं। प्राइस ने कहा कि अमरीका अफगान पत्रकारों, नागरिकों, कार्यकर्ताओं, महिलाओं और बच्चों तथा विकलांगों के साथ खड़ा है। अमारीका ने तालिबान से इन लोगों के अधिकारों को सुनिश्चित करने को कहा है।
-
बता दें कि हाल ही में तालिबान के संस्थापकों में से एक मुल्ला नुरुद्दीन तुराबी ने कहा था कि अफगानिस्तान में एक बार फिर फांसी और शरीर के अंगों को काटने की सजा दी जाएगी। उसने साथ ही यह भी जोड़ा था कि संभवत: इस बार ऐसी सजाएं सार्वजनिक स्थानों पर नहीं दी जाएं। तुराबी ने यह भी कहा कि कोई हमें यह नहीं बताए कि हमारे नियम क्या होने चाहिए और क्या नहीं। हम सिर्फ इस्लाम का पालन करेंगे और कुरान के आधार पर अपना कानून बनाएंगे। तुराबी के इस ऐलान के बाद हेरात प्रांत में चार लोगों को मारकर उनके शव को बड़ी क्रूरता से के्रन के जरिए शहर के चौराहों पर लटका दिया गया।