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अंबिकापुर

अजब-गजब : ये लोग कीचड़ में पटक कर बारातियों का करते हैं स्वागत, फिर धूमधाम से होती है शादी

लड़की पक्ष के लोग बारातियों के स्वागत के लिए खेत में तैयार करते हैं कीचड़, बारातियों को कीचड़ (Mud Marriage) से सराबोर कर करते हैं अपने शौर्य का प्रदर्शन

अंबिकापुरJun 15, 2019 / 05:38 pm

rampravesh vishwakarma

Mud marriage

Marriage

अंबिकापुर. धर्मांतरण की साजिश के बीच मैनपाट (Mainpat) का मांझी समाज संस्कृति व परम्परा को बचाने के लिए पुरजोर ढंग से एकजुट नजर आता है। यही वजह है कि आज भी पुरखों के जमाने से चली आ रही अनोखी परंपरा का निर्वहन विवाह के कार्यक्रम में किया जाता है।
दरअसल इस समाज में बारातियों का स्वागत कीचड़ में सराबोर कर किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि लड़की पक्ष के लोग बारातियों के सामने इस खेल के माध्यम से अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं, यह देखने में काफी आकर्षक होता है।

मैनपाट का आदिवासी मांझी समाज अपनी अनोखी परम्परा (Unique tradition) व संस्कृति के लिए न केवल प्रदेश में बल्कि देश में भी चर्चित है। मांझी समाज में 12 गोत्र हैं, जिनके अनूठे आयोजन हमेशा कौतूहल के विषय बने रहते हंै।
सभी गोत्र की अपनी अलग-अलग परम्परा है। इसके बावजूद सभी एकजुटता के साथ किसी भी आयोजन में शामिल होते हैं। मांझी समाज का भैंस गोत्र व तोता गोत्र में विवाह की अपनी अनोखी परम्परा है।
Throw down in mud
भैंस गौत्र में लड़की पक्ष के लोग बारात आने से पूर्व मिट्टी खेलने की तैयारी करके रखते हैं और बारात पहुंचने के बाद कीचड़ में एक-दूसरे को सराबोर करते हैं।

इस दौरान मांझी समाज के साथ ही आसपास रहने वाले सभी लोग बारातियों के सामने मिट्टी खेलकर अपने शौर्य का प्रदर्शन करते हैं। जब कभी किसी मांझी के घर बारात पहुंचता है तो कीचड़ में खेलने के लिए हुजूम उमड़ पड़ता है।

पहले से तैयार किए जाते हैं मिट्टी के खेत
बारात पहुंचने के सप्ताह भर पहले से खेत को पानी व मिट्टी डालकर तैयार किया जाता है। जब यह पूरी तरह से कीचडय़ुक्त (Mud) हो जाता है तो बारात के पहुंचने पर वहां पर जमकर मिट्टी खेली जाती है। भैंस गोत्र के लोग एक-दूसरे को कीचड़ में पाटकर पहले उनके ऊपर मिट्टी का लेप लगाते हैं, इसके बाद आदिवासी संगीत के बीच जमकर लोट-लोट कर मिट्टी खेलते हैं।
Mud </figure> Marriage in <a  href=majhi society” src=”https://new-img.patrika.com/upload/2019/06/15/mud_marriage2_4713807-m.jpeg”>अनूठी संस्कृति की वजह से ही पहचान
मैनपाट (Mainpat) जहां अपने ठंड के लिए पूरे प्रदेश में पहचान बनाए हुए हैं, उसी तरह यहां के मांझी आदिवासी समाज भी अपनी अनूठी संस्कृति की वजह से पहचाना जाता है। समाज के लोग जहां आज भी कंदमूल खाते हैं वहीं विवाह जैसे आयोजन में कम खर्च कर ज्यादा आनंद उठाते हैं। मांझी समाज के लोग अपनी संस्कृति की वजह से प्रदेश में अलग पहचान बनाए हुए हैं।

तोता गोत्र में लगता है जुर्माना
मांझी समाज में 12 गोत्र हैं। इसमें कई गोत्र की संस्कृति व परम्परा लोगों को अपनी और आकर्षित भी करती है। इसमें भैंस गोत्र के बाद अगर किसी की अनोखी विवाह परम्परा है तो वह तोता गोत्र की।
जब लड़की के घर दुल्हा बारात लेकर पहुंचता है तो एक बड़े से पोल में धान की बाली बांधी जाती है और दुल्हे को मुंह से तोडऩे के लिए बोला जाता है। दुल्हा जब ऐसा नहीं कर पाता है तो उसपर लड़की पक्ष के लोग जुर्माना लगाते हैं, जिसे चुकाना अनिवार्य होता है।

कीचड़ में न पटकने की दी जाती है समझाइश
गोत्र के अनुसार समाज की परम्परा है, इसका पालन किया जा रहा है। हालांकि लोगों को समझाइश दी जाती है कि आदिवासी समाज में भी बाराती अब अच्छे-अच्छे कपड़े पहनकर आते हैं। उन्हें मिट्टी खेलने के दौरान कीचड़ में न पटकें।
भिनसरिया राम, अध्यक्ष, मांझी समाज, मैनपाट

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