उदयपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम बेलढाब में 14 वर्षीय नाबालिग लड़की का विवाह माता-पिता के द्वारा करवाया जा रहा था। शादी की तैयारी पूरी हो चुकी थी। सात फेरे हो चुके थे, नाबालिग को बस सिंदूर लगने वाली थी कि महिला उत्थान कल्याण समिति की टीम अध्यक्ष सरिता महंत के नेतृत्व में मौके पर पहुंच गई और बाल विवाह (child marriage) को रुकवाया गया।
बाल विवाह कानून की दी जानकारी
बारातियों के लौट जाने के बाद चाइल्ड लाइन की टीम और महिला विकास विभाग की टीम मौके पर पहुंची और लड़की के माता-पिता को समझाइश देते हुए पंचनामा तैयार कर कागजी कार्यवाही पूर्ण की गई। टीम ने नाबालिग लड़की के माता-पिता तथा मौके पर उपस्थित गांव के अन्य लोगों को बाल विवाह नहीं करने तथा इससे जुउ़े कानून के बारे भी बताया गया। समझाइश के बाद परिजनों ने नाबालिग का विवाह नही करने का लिखित आश्वासन दिया।
शादी के बाद होती है परेशानी
कार्रवाई में शामिल डायल 112 की टीम के सदस्य, चाइल्ड लाइन सदस्य स्तुति राजवाड़े, महिला बाल विकास विभाग से सुपरवाइजर ऐरखामेरन लकड़ा व सुमन उपस्थित थीं। महिला उत्थान कल्याण समिति के अध्यक्ष सरिता महंत ने सभी से अपील की है कि शादी की उम्र के बाद ही लड़के-लड़की का विवाह करें। शासन द्वारा निर्धारित उम्र में विवाह होने से युवक-युवती दोनों का दांपत्य जीवन सुखमय होता है। बाल विवाह (Child marriage) से विभिन्न प्रकार की परेशानियों का सामना दोनों ही परिवार के सदस्यों और बालक-बालिका को करना पड़ता है।