कार्य परिषद के ऐसे सदस्य जो कॉलेज के प्राचार्य हैं उन्हें विश्वविद्यालय द्वारा 1 जनवरी को आयोजित कार्यपरिषद की होने वाली बैठक की सूचना दे दी गई है, लेकिन जनप्रतिनिधियों को कोई सूचना नहीं दी गई है।
निर्वाचित विधायक बने रहेंगे सदस्य
अधिनियम 23 में कार्य परिषद के गठन का निर्देश है। उपधारा २ में दर्ज कि है कार्य परिषद के वे सदस्य जो पदेन सदस्यों से भिन्न हों, ३ वर्ष की कालावधि के लिए पद धारण करेंगे। परन्तु उपधारा (1) के पद (तीन) अधीन निर्वाचित किया गया कार्य परिषद का कोई सदस्य, ऐसे सदस्य के रूप में पद पर नहीं रह जाएगा यदि वह सभा का सदस्य न रह जाये।
15 दिन पूर्व देनी है बैठक की सूचना
विनियम 1 में दर्ज है कि कार्य परिषद बैठक की सूचना 15 दिन पूर्व देनी है। प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति भी देनी है। विश्वविद्यालय प्रशासन न तो 15 दिन पूर्व सूचना देता है और न ही प्रस्ताव व प्रस्ताव की प्रति उपलब्ध कराता है।
एमपी विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 को करता है अंगीकृत
गुरुघासीदास विश्वविद्यालय बिलासपुर मध्यप्रदेश विवि अधिनियम 1973 के अधिनियम को अंगीकृत करता था। इसी अधिनियम को ही संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय ने भी अंगीकृत किया है। सरगुजा विश्वविद्यालय से संत गहिरा गुरु विश्वविद्यालय बनने तक की प्रक्रिया में विश्वविद्यालय का अपना कोई अधिनियम प्रकाशित नहीं है। विश्वविद्यालय ने मध्यप्रदेश के अधिनियम को ही संशोधित कर नया अधिनियम प्रकाशित नहीं किया है।
कुलपति करते हैं अपनी मनमानी
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि विश्वविद्यालय की पूरी व्यवस्था कुलपति अपने अनुसार संचालित करते हैं। इस संबंध में पूर्व में भी नोटिस किया गया है कि उनके द्वारा मनमानी की जाती है।
नहीं मिली है मुझे सूचना
कार्य परिषद बैठक की सूचना नहीं दी गई है। विधिक स्तर से मुझे बुलाना चाहिए। यदि नहीं बुलाते हैं तो मैं कुलपति से बात करता हूं।
अमरजीत भगत, विधायक, सीतापुर