गौरतलब है कि 1 मार्च 2022 से 15 नवंबर 2022 के बीच अंबिकापुर शहरी क्षेत्र में संचालित सार्वजनिक वितरण प्रणाली की दुकान से राशन हेराफेरी करने का मामला सामने आया था। इस मामले की जांच खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण रायपुर द्वारा कराया गया था।
जांच में हेराफेरी सही पाए जाने पर खाद्य निरीक्षक सरगुजा श्वेता रानी को दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के निर्देश दिए गए थे। निर्देश के बाद खाद्य निरीक्षक ने कोतवाली के जाकिर हुसैन वार्ड बरेजपारा में संचालित सदर खाद्य सुरक्षा पोषण उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति के अध्यक्ष अनवारूल, नाजिया बानो उपाध्यक्ष व मुस्तेबा खान सहायक विके्रता के खिलाफ अपराध दर्ज कराई है।
इस समिति में 60 लाख 40 हजार 488 रुपए का राशन हेराफेरी की गई थी। वहीं अन्नपूर्णा खाद्य सुरक्षा पोषण उपभोक्ता सेवा सहकारी समिति सत्तीपारा के अध्यक्ष रणजीत कौर, उपाध्यक्ष रूपिन्दर कौर व सहायक विक्रेता खुशदिल अहमद द्वारा समिति से 24 लाख 74 हजार 379 रुपए का राशन घोटाला किया गया था।
वहीं गांधीनगर थाना क्षेत्र में संचालित समिति गोधनपुर सोसायटी के अध्यक्ष दशरथ सोनी, उपाध्यक्ष अभय राज ङ्क्षसह व सहायक विक्रेता मनीष मेहता द्वारा सोसायटी से 27 लाख 84 हजार व नमनाकला सोसायटी के अध्यक्ष बृजेश सोनी, उपाध्यक्ष रूपेश सोनी द्वारा 2 लाख 52 हजार रुपए के राशन गड़बड़ी का मामला पाया गया है।
कुल मिलाकर 1 करोड़ 40 लाख रुपए की गड़बड़ी सामने आने पर इन सभी के खिलाफ खाद्य निरीक्षक ने दोनों थाना में धारा 409, 34 व आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955 3/7 के तहत अपराध दर्ज कराई है। पुलिस ने सभी 11 आरोपियों के खिलाफ अपराध दर्ज कर आगे की कार्रवाई शुरु कर दी है।
अंतरराष्ट्रीय कांफ्रेंस में मंच से हटाई कुर्सी, कार्यक्रम छोडक़र चले गए कुलसचिव, बोले- अपमानित महसूस हुआ
भाजपा पार्षद ने उठाया था मामलाभाजपा पार्षद आलोक दुबे ने अंबिकापुर शहरी क्षेत्र के दुकानों से साढ़े 4 करोड़ रुपए के राशन हेराफेरी करने का आरोप दुकान संचालकों व सेल्समैनों पर लगाया था। आलोक दुबे ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की थी। इस मामले की जांच खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण रायपुर द्वारा कराई गई थी। जांच में गड़बड़ी सामने आने के बाद 11 लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
भाई को इंस्पेक्टर बनवा दूंगा कहकर दोस्त से ले लिए 2.36 लाख, फिर थमा दिया फर्जी ज्वाइनिंग लेटर
पुलिस छिपाती रही आरोपियों के नाम इस पूरे भ्रष्टाचार के मामले में खाद्य निरीक्षक की रिपोर्ट पर पुलिस ने अपराध तो दर्ज कर लिया, लेकिन आरोपियों के नाम सार्वजनिक करने में अपने हाथ पूरी तरह से खींचती नजर आई। एसपी से लेकर थाना प्रभारी तक आरोपियों के नाम उजागर करने में हिचकिचाते रहे।
मीडियाकर्मी जब गांधीनगर थाने पहुंचे और आरोपियों का नाम पूछा तो पुलिस ने दोटूक कह दिया कि हम आपलोगों को केवल संख्यात्मक जानकारी दे सकते हैं लेकिन नाम नहीं बता सकते। उनका नाम सेंसेटिव है।
यह जवाब सिर्फ गांधीनगर थाने के टीआई का ही नहीं बल्कि पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों का भी था। कारण जो भी हो परंतु जिन पर एफ आई आर दर्ज हो चुकी है उनका नाम सार्वजनिक करने में पुलिस को क्या दिक्कत हो सकती है, यह एक बड़ा सवाल है।