आर्थिक तंगी से जुझ रही शांति पंडो पति रामानंद पंडो उम्र 35 वर्ष को 12 हजार रुपए में अपना राशन कार्ड को गिरवी रखना पड़ा है। इसके बाद से उसे खाने के लिए अनाज नहीं मिल रहा है। उसके घर में अनाज का एक दाना नहीं है। उसका पति मजदूरी का काम करता है। पूरा परिवार कुपोषण से जुझ रहा है।
शांति पंडो अपना परिवार चलाने के लिए जड़ी बूटी बेचने का काम करती है। वहीं जंगल के फल तोड़कर बच्चों का पेट भरने को विवश है। गांव में जब स्वास्थ्य अमला पहुंचा तो परिवार के सदस्यों का स्वास्थ्य जांच कराई गई।
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जांच में परिवार के सभी लोग कुपोषित पाए गए। इसके बाद शांति पंडो और उसकी एक वर्षीय बेटी को स्वास्थ्य विभाग द्वारा पोषण पुनर्वास केन्द्र बलरामपुर में दाखिल कराया गया है। गरीबी से परेशान शांति पंडो अपने
घर का चौकी, दरवाजा तक बेच चुकी है। इस तरह से आर्थिक तंगी से जूझ रहे पंडो जनजाति की न तो जिला प्रशासन को चिंता है और न ही विधायम, मंत्री इनके प्रति फिक्रमंद हंै।
जिला प्रशासन के सारे दावे हो रहे फेल
पंडो जनजाति राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाते हैं। इन्हें मुख्यधारा से जोडऩे के लिए शासन-प्रशासन द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही है, लेकिन सब कागजी ही साबित हो रही है।
पंडो जनजाति का शोषण लगातार जारी है। आज भी ये आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। न तो इन्हें समय पर इलाज मिल पा रहा है और न ही अन्य सुविधाएं मिल रही है। आज भी ये अपना जीवन यापन जंगलों में ही रहकर कर रहे हैं। न तो इन्हें पीने के लिए साफ पानी मिल रहा और न ही पौष्टिक आहार मिल पा रहा है।
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पुन: जारी किया जाएगा राशन कार्डराशन कार्ड गिरवी रखने की जानकारी पंडो समाज के पदाधिकारियों को हुई तो उन्होंने इसकी सूचना बलरामपुर के एसी ट्राइबल को दी। एसी ट्राइबल आरके शर्मा ने कहा कि अगर राशन कार्ड गिरवी रखने का मामला है तो उस परिवार के नाम से पुन: राशन कार्ड जल्द जारी किया जाएगा। गिरवी रखा राशन कार्ड निरस्त हो जाएगा।
अधिकांश परिवार कुपोषण के शिकार
पिछले एक सप्ताह के अंदर पंडो जनजाति के एक ही परिवार के तीन सदस्यों की मौत के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मचा हुआ है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा पिछले दो दिनों से गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर ग्रामीणों की स्वास्थ्य जांच किया जा रहा है। स्वास्थ्य जांच में पता चला है कि पंडो जनजाति के अधिकांश परिवार कुपोषित पाए गए हैं।
स्वास्थ्य जांच में लगभग सभी लोगों में खून की कमी पाई गई है। कई लोगों को इलाज के लिए बलरामपुर अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं कई लोगों में कुपोषण पाए जाने पर उन्हें पोषण पुनर्वास केन्द्र भेजा गया है। इसमें मां व बच्चे भी शामिल हैं।