ग्राम सभा को पंचायती राज की तर्ज पर मजबूती प्रदान की जाएगी और वे ही निर्णय लिए जाएंगे जो ग्राम सभा द्वारा पारित किया जाएगा। एक पंचायत को एक वर्ष में 70 लाख रुपए का बजट दिया जाएगा व माओवादी प्रभावित क्षेत्र के पंचायतों को 1 करोड का बजट दिया जाएगा। उक्त बातें शुक्रवार को पंचायत व स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहीं।
टीएस सिंहदेव ने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में काम करना काफी चुनौती पूर्ण है। शासकीय अस्पतालों में उपकरणों के साथ स्टाफ की काफी कमी है। सबसे बड़ी चुनौती शासकीय अस्पतालों में मूलभूत परिवर्तन किए जाने की है।
सरकार किसी एक क्षेत्र में नहीं बल्कि सभी 53 विभागों का विकास करना प्राथमिकता है। आज हम सभी की मानसिकता बन गई है कि शासकीय संस्थानों से बेहतर निजी संस्थान हैं। वहां पर सुविधा बड़ी आसानी से मिल जाती है। स्वास्थ्य के क्षेत्र में क्या विकास कर सकते हैं, यह सबसे बड़ी चुनौती है।
गुणवत्तापूर्ण इलाज लोगों को मिल सके यह पहली प्राथमिकता होगी। इस दौरान कांग्रेस जिलाध्यक्ष बालकृष्ण पाठक, महापौर डॉ. अजय तिर्की, अजय अग्रवाल, शफी अहमद, हेमंत सिन्हा, जेपी श्रीवास्तव, द्वितेन्द्र मिश्रा सहित अन्य लोग उपस्थित थे।
डॉक्टरों की है कमी
टीएस सिंहदेव ने कहा कि अस्पतालों में डॉक्टरों की कमी है, उसे कैसे पूरा कर सकें, इस संबंध में 4 जनवरी को विभाग की बैठक भी बुलाई गई है। डॉक्टर यहां आना नहीं चाहते हैं, इसकी वजह वेतन व आवास की कमी है। पूरे छत्तीसगढ़ में 80 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी है।
अभी जो लोग एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहे हैं उनसे पूर्व सरकार द्वारा दो वर्ष का बांॅड भराया गया था कि वे ग्रामीण क्षेत्र में काम करेंगे। काम शुरू करने से पहले ही उनकी सांस अगर हम बंद कर देंगे तो वे नौकरी करना ही नहीं चाहेंगे।
पंचायत ले सकेगा निर्णय
पूर्व सरकार व अधिकारियों द्वारा अब तक पंचायत को अपने एजेंडे थमाकर निर्णय लेने को कहा जाता था। इस संबंध में पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि पंचायत स्तर पर ग्राम सभा को मजबूत किया जाएगा। कांग्रेस की सरकार ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जनप्रतिनिधियों द्वारा जो निर्णय लिए जाएंगे वह अधिकारियों को मानना होगा।
ग्राम पंचायत अब ग्राम सभा के लिए एजेंडा तय करेंगे और सीईओ उसे रखेगा। नीतिगत फैसले पर सीईओ जनप्रतिनधियों को बताएगा लेकिन यह भी पंचायतों को देखना होगा कि वे बजट के अनुरूप प्रस्ताव बनाकर पेश करें। अनावश्यक बजट तैयार कर पेश नहीं करें।
सरकार का उद्देश्य उद्योगों को हतोत्साहित करना नहीं
सरकार द्वारा बस्तर क्षेत्र में टाटा द्वारा अधिग्रहित जमीन वापस लेने के संबंध में टीएस सिंहदेव ने कहा कि नियमानुसार जिस कम्पनी को सरकार ने जमीन अधिग्रहित कर प्रदान किया है। अगर वह ५ वर्ष तक अधिग्रहित किए गए जमीन पर उद्योग नहीं लगाता है तो उसे वापस लिया जा सकता है लेकिन इसकी वैधानिक स्थिति को भी देखना होगा।
कम्पनी ने अगर रुपए दिए हैं तो उसे वापस भी करना होगा। इसे कौन देगा यह तय करना होगा। सरकार या तो कम्पनी को रुपए वापस करेगी या फिर जिन किसानों ने रुपए लिए हैं उन्हें वापस करना होगा लेकिन इससे गम्भीर स्थिति उत्पन्न हो जाएगी। इसलिए इसकी वैधानिक स्थिति को समझना पड़ेगा क्योंकि कम्पनी न्यायालय में भी जा सकती है।
न्यायालय में भी सरकार लड़ाई लडऩे को तैयार है। सरकार उद्योगों को हतोत्साहित करना नहीं चाहती है। इससे उद्योग को प्रोत्साहन ही मिलेगा और वे ही कम्पनी काम करने आएंगे, जो काम करना चाहते हैं।