सरगुजा जिले के अंबिकापुर स्थित प्राचीन पहाड़ पर मां महामाया का मंदिर स्थित है। मंदिर का इतिहास काफी पुराना है। सरगुजा महाराजा रघुनाथ शरण सिंहदेव ने इस मंदिर का निर्माण कराया था। मां महामाया का नाम अंबिका देवी है। इसी आधार पर सरगुजा जिला मुख्यालय का नामकरण अंबिकापुर रखा गया। हिंदू नववर्ष की शुरुआत चैत्र से शुरु होती है। चैत्र नवरात्र व शारदेय नवरात्र में मां महामाया मंदिर में श्रद्धालुओं की बेहिसाब भीड़ माता के दर्शन को उमड़ती है।
राजपरिवार की कुलदेवी है मां महामाया
सरगुजा राजपरिवार व इतिहास के जानकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि मां महामाया मंदिर का निर्माण सन् 1910 में कराया था। मां महामाया सरगुजा राजपरिवार की कुलदेवी हैं। मंदिर में टीएस सिंहदेव विशेष पूजा करते हैं और उनके परिवार के लोग ही मां महामाया और समलाया के गर्भ गृह में प्रवेश कर सकते हैं।
रतनपुर की महामाया भी इसी मूर्ति का अंश
इतिहासकार गोविंद शर्मा बताते हैं कि दोनों ही मंदिरों में देवी को जोड़े में रखना था। ऐसे में सरगुजा के तत्कालीन महाराज रामानुज शरण सिंह देव की मां और महाराजा रघुनाथ शरण सिंह देव की पत्नी भगवती देवी ने अपने मायके मिर्जापुर से उनकी कुलदेवी विंध्यवासिनी की मूर्ति की स्थापना इन दोनों मंदिरों में कराईं।