सूरजपुर जिले के ग्राम सरना निवासी 54 वर्षीय पार्वती अगरिया पिछले 15 वर्षों से गले के थायराइड बीमारी से पीडि़त थी। थायराइड धीरे-धीरे बड़ा हो गया और थायराइड ने गोले (ट्यूमर) का रूप ले लिया। बढ़ते-बढ़ते थायराइड का वजन करीब 8 से 10 किलो तक बढ़ गया। ऐसे में थायरायड गले से नीचे लटक गया था।
मरीज पूरी तरह से स्वस्थ
डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि मरीज की स्थिति अब ठीक है। उसे ऑपरेशन के बाद चिकित्सकों की निगरानी में रखा गया था। स्वस्थ होने पर मरीज को डिस्चार्ज कर दिया गया। उन्होंने बताया कि गले का थायराइड होने के कारण ऑपरेशन काफी जटिल था, इसके बाद भी मरीज का ऑपरेशन कर जान बचाई गई है।
निजी अस्पताल में 2 लाख से ज्यादा खर्च
डॉ. बीआर ङ्क्षसह ने बताया कि मरीज ग्रामीण क्षेत्र की है और काफी गरीब परिवार से है। अगर यह ऑपरेशन निजी अस्पताल में कराया जाता तो मरीज को 2 लाख रुपए से ज्यादा का खर्च उठाना पड़ता। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में यह ऑपरेशन पूरी तरह नि:शुल्क किया गया है।
जागरुकता व गरीबी के कारण नहीं करा पाई थी ऑपरेशन
चिकित्सक ने बताया कि महिला को थायराइड पिछले १५ वर्षांे से था। महिला काफी गरीब है, वहीं जागरूकता के अभाव में वह इलाज नहीं करा पाई थी। डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि मुझे एक एनजीओ के माध्यम से महिला के बारे में जानकारी मिली थी, जिसे बुलाकर ऑपरेशन कर उसकी जान बचाई गई है।
टूट सकती थी गर्दन की हड्डी
डॉ. बीआर सिंह ने बताया कि महिला का समय पर इलाज व ऑपरेशन नहीं होने के कारण गले का थायराइड काफी बड़ा हो चुका था। धीरे-धीरे महिला की सांस नली जाम होने लगी थी। इस कारण उसे सांस लेने में परेशानी हो रही थी। वहीं थायराइड का थोड़ा और वजन बढऩे पर गर्दन की हड्डी टूट सकती थी।