ममता बनर्जी के गढ़ में डॉक्टर से मारपीट के विरोध में डॉक्टरों ने सिर पर लगाई पट्टी, कहा- ‘हमें मारोगे तो तुम्हे कौन बचाएगा’
कई तरह के स्लोगन लिखी तख्ती हाथ में लिए जूनियर डॉक्टरों ने निकाली रैली, (Violence against healthcare workers) सीनियर डॉक्टरों ने काला फीता लगाकर की ड्यूटी
अंबिकापुर. पश्चिम बंगाल (West Bengal) के एनआरएस अस्पताल में एक मरीज की मौत हो जाने के बाद मरीज के परिजनों ने एक जूनियर डाक्टर के साथ मारपीट की थी। इससे उसके सिर में गंभीर चोंटें (Violence against healthcare workers) आई थी। इस घटना का आईएमए (IMA) अम्बिकापुर, मेडिकल टीचर्स एसोसिएशन, चिकित्सा अधिकारी संघ, मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट फेडरेशन द्वारा संयुक्त रूप से काला फीता लगाकर विरोध दर्ज कराया गया।
इस दौरान मेडिकल कॉलेज के छात्रों द्वारा रैली निकाली गई। उन्होंने प्रधानमंत्री (Prime Minister) एवं गृहमंत्री (Home Minister) के नाम से कलक्टर को सौंपे ज्ञापन में केन्द्र सरकार से मांग की कि वे चिकित्सकों के प्रति हो रही हिंसा के विरूद्ध ठोस पहल करें।
चिकित्सकीय सेवाओं के समय चिकित्सक के साथ हो रहे मारपीट के विरूद्ध कठोर कानून बनाये, जिससे इस तरह की घटना की पुनरावृत्ति को रोका जा सके। इधर महापौर डॉ. अजय तिर्की ने समाज में किसी भी वर्ग के साथ मारपीट की घटना को गलत बताया। जबकि कलक्टर डॉ. सारांश मित्तर ने घटना में चोटिल चिकित्सकों के प्रति गहरी सहानुभूति व्यक्त की।
ज्ञापन सौंपने के दौरान डॉ. पीके सिन्हा, डॉ. एके जायसवाल, डॉ. अजय तिर्की, डॉ. अनुरंजन दुबे, डॉ. डीडी अग्रवाल, डॉ. रेणु अग्रवाल, डॉ. फैजुल हसन फिरदौसी, डॉ. पुष्पेन्द्र पटेल, डॉ. योगेन्द्र अग्रवाल, डॉ. सुधांशु किरण, डॉ. देवेश शुक्ला, डॉ. योगेन्द्र गहरवार, डॉ. बी कमलेश, डॉ. अमित सिंह, डॉ.अनुपम मिंज उपस्थित रहे।
काला फीता लगाकर डॉक्टरों ने की ड्यूटी मेडिकल कॉलेज अस्पताल (Medical college Hospital) के सभी चिकित्सकों ने काला फीता लगाकर सांकेतिक विरोध जताया और अपनी ड्यूटी निभाई। विरोध के दौरान मरीजों को किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़ा। डॉक्टर नियमित समय पर ओपीडी पहुंचे और मरीजों का उपचार किया।
‘इंसान हूं भगवान नहीं, मरीज भेजो हैवान नहीं’ मेडिकल कॉलेज स्टूडेंट फेडरेशन (Medical college students) के छात्रों ने सिर पर पट्टी व ब्लैक रिबन लगाकर विरोध जताया। इस दौरान छात्रों ने पोस्टर में लिखा था कि ‘इंसान हूं भगवान नहीं, मरीज भेजो हैवान नहीं’, ‘मैं अपराधी नहीं डॉक्टर हूं’ के नारे लिखकर शांतिपूर्वक विरोध जताया और प्रधानमंत्री एवं गृहमंत्री के नाम से कलक्टर को ज्ञापन सौंपा गया।
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