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रितेश पांडेय 2019 के लोकसभा चुनाव में अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट से भाजपा के मुकुट बिहारी वर्मा को करारी शिकस्त देते हुए लोकसभा में पहुंच गए हैं, जिसके बाद जलालपुर विधानसभा सीट खाली हो गई है। हालांकि अभी चुनाव आयोग ने प्रदेश की उन 11 सीटों पर चुनाव की कोई तिथि निर्धारित नहीं की है, जहां के विधायक सांसद के रूप में चुन लिए गए हैं, लेकिन उप चुनाव की चर्चा शुरू हो चुकी है। निश्चित तौर पर अम्बेडकर नगर की जलालपुर विधानसभा सीट पर भाजपा की जीत हार सीएम योगी के लिए अग्नि परीक्षा और तीन साल के कार्यकाल के रिपोर्ट कार्ड जैसा माना जा रहा है।
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भाजपा के लिए आग का दरिया है जलालपुरजलालपुर विधानसभा क्षेत्र पर भाजपा का कोई भी प्रत्याशी आज तक कामयाब नहीं हो पाया है। भाजपा के लिए इस जिले की पांच विधानसभा सीटों में सबसे ज्यादा टफ सीट मानी जाने वाली टांडा विधानसभा सीट पर भी 2017 में भाजपा ने पहली बार जीत दर्ज करा ली थी, लेकिन तब भी जलालपुर समेत तीन विधानसभा सीट भाजपा हार गई थी। जलालपुर विधानसभा क्षेत्र पहले कांग्रेस का गढ़ हुआ करती थी, जिसके दिग्गज नेता शेर बहादुर सिंह लगातार कई चुनाव जीते और 2007 व 2012 के चुनाव में भी शेर बहादुर सिंह ही बसपा और सपा के टिकट पर चुनाव लड़कर जीत हासिल कर चुके थे, लेकिन 2017 के चुनाव से पूर्व शेर बहादुर सिंह ने भाजपा का दामन थाम अपने लड़के को मैदान में उतारा, लेकिन वे चुनाव हार गए और यहां से बसपा के रितेश पांडेय ने जीत दर्ज कराई।
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2019 के लोकसभा चुनाव में जिस तरह से उत्तर प्रदेश और पूरे देश में भाजपा का प्रदर्शन रहा, उसके बावजूद अम्बेडकर नगर लोकसभा सीट पर भाजपा 90 हजार से अधिक वोटों से हर गई। इतना ही नहीं जीके की टांडा और जलालपुर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा की हार 40 हजार से अधिक वोटों से हुई है। ऐसे में जलालपुर विधानसभा क्षेत्र भाजपा के लिए न सिर्फ करो मरो का सवाल है, बल्कि प्रदेश में योगी की नीतियों को इस विधानसभा क्षेत्र के लोग कितनी तवज्जों देते हैं। यह तो उप चुनाव के बाद ही पता चलेगा।