सरकारी व निजी निर्माण के अलावा उद्योगों में बिना प्राधिकरण की एनओसी के ट्यूबवेल व अन्य संसाधनों से भूजल दोहन किया जा रहा है। इससे धरती की कोख तो खाली हो ही रही है, साथ ही पर्यावरण क्षति भी हो रही है। नियमों की धज्जियां लगातार उड़ाई गईं तो एनजीटी में याचिका दायर की गई। उसी पर एनजीटी ने सुनवाई की। जस्टिस शिव कुमार सिंह ने केंद्रीय भूजल प्राधिकरण का पक्ष सुनने के बाद कहा कि यह गंभीर िस्थति है। मजिस्ट्रेट अधिकृत अधिकारी हैं, जिन्हें अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में भूजल से संबंधित शिकायत निवारण सहित अवैध कुओं को सील करने, सक्रिय कुएं की बिजली आपूर्ति काटने, अपराधियों के खिलाफ मुकदमा चलाने आदि की शक्ति दी गई है, तो फिर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? उन्होंने इस पर नाराजगी जाहिर की। जस्टिस शिव कुमार सिंह ने कहा कि सभी कलक्टर्स (बीकानेर, अलवर, सीकर, उदयपुर, बाड़मेर, भीलवाड़ा, चूरू, सिरोही, सीकर, श्रीगंगानगर, जालोर, झुंझुनूं, कोटा, जयपुर, पाली, करौली, राजसमंद, सवाईमाधोपुर आदि) को नोटिस जारी किए जाएं। प्रमुख सचिव सार्वजनिक स्वास्थ्य और इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) को भी नोटिस जारी हो। साथ ही आदेश की प्रति भेजी जाए ताकि वह नियमों का पालन करा सकें। अब अगली सुनवाई 8 नवंबर को होगी।