scriptराजस्थान के इन गांवों की बदल गई तस्वीर, बिलोवणी के जमाने लदे; कार-AC की बढ़ी डिमांड | The picture of villages near the city has changed in Rajasthan, the times of Bilovani are over; demand for cars and ACs has increased | Patrika News
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राजस्थान के इन गांवों की बदल गई तस्वीर, बिलोवणी के जमाने लदे; कार-AC की बढ़ी डिमांड

पिछले दो-तीन दशक में बहरोड़ क्षेत्र के कई गांव के लोगों का रहन-सहन बदला बदला सा दिखाई देने लगा है।

अलवरNov 10, 2024 / 04:38 pm

Santosh Trivedi

rajasthan village
बहरोड़। पिछले दो-तीन दशक में राजस्थान सरकार का ग्रामीण विकास योजनाओं पर ज्यादा राशि खर्च करने का परिणाम अब नजर आने लगा है। इससे अब क्षेत्र के कई गांव के लोगों का रहन-सहन बदला बदला सा दिखाई देने लगा है। अब गांवों में खरंजे, कहीं ग्रेवल रोड तो कहीं डामरीकृत मार्ग बने हैं। कमोबेश पंचायत मुख्यालय का ऐसा कोई गांव अब अछूता नहीं रहा जहां किसी न किसी प्रकार से पहुंच आसान नहीं हुई हो। यह अलग बात है कि अभी पुराने लंबे मार्गों के सहारे बसें ग्राम पंचायत मुख्यालय को छोड़ दें तो मुख्य मार्ग से दाएं-बाएं रास्ते वाले पंचायत मुख्यालय अब भी परिवहन सुविधाओं से वंचित है। पंचायत के गांवों में विधायक व सांसद कोटे से भी रोड बनाने का काफी काम हुआ है। इससे छोटे-छोटे गांवों का निकट के शहर से जुड़ाव हुआ है। इस कारण गांव के लोगों की आवाजाही बड़ी है।

बढ़ गए वाहन

गांव में आवागमन के लिए सड़कों की दशा सुधरी या नई बनी। गांव में भी बाइक हर घर में होने लगी है। अब ऐसा कोई गांव नहीं जिसमें बाइक या चौपाहियां वाहन न हो। बाइकें बढ़ी तो वाहनों के मैकेनिकल, मिस्त्री की दुकान गांव में खुलने लगी। अब उपखंड मुख्यालय पर गांव का आदमी बाइक से पहुंचने लगा है।

पहनावे में बदलाव

अब गांव के लोग रेडीमेड कपड़े पहनने लगे हैं। अब साफा तो नई पीढ़ी के लोगों को पसंद नहीं है। साफा पहनना तो दूर अपितु साफा बांधने वाले लोग ही कम मिलते हैं। शादी समारोह में साफा का स्थान रेडीमेड साफियों ने ले लिया है। गांव के युवा जींस पहनने लगे हैं। गांव में बिजली लगी तो बिलोवणी के जमाने लद गए। अब गांव की महिलाएं बिलोने के लिए लाइट का इंतजार करती है, गांव में कूलर लगने लगे हैं। उसके बाद एयर कंडीशनर भी ज्यादातर लग गए है। खास बात यह भी है कि कई परिवार गांव से दूर अपने खेत में ऊंचे पक्के हवेलीनुमा मकान बनाकर शुद्ध वातावरण में रहने के फायदे खोजने लगे हैं।

शिक्षण संस्थाओं का हुआ विस्तार

गांव हो या ढाणीनुमा राजस्व गांव, वहां राजीव गांधी पाठशालाएं शिक्षा कर्मी योजना के तहत कई गांवों में शुरू हुई। अब अटल सेवा केंद्र बने व गांव को इंटरनेट से कनेक्ट किया जा रहा है। हालांकि कई गांव में लगे कम्प्यूटर चालू हालत में नहीं है। गांव में शिक्षा के प्रति जागरूकता बड़ी है। अब सरकार गांव में अंग्रेजी शिक्षा को भी बढ़ावा दे रही है।
पहले गांव में महिला शिक्षा नगण्य थी। बालकों को भी काफी कम संख्या में स्कूल भेजते थे। लड़कियों के बारे में तो आज से दो दशक वर्ष पहले ग्रामीण यह कहते थे कि अजी काई करेगा पढार, पढबा जायसी जणा घर पड़ा गोबर कौन थापसी, अरे पढ़ाई लिखाई काई करी, सासरे में जार भी गोबर ही थापनों पड़सी। लेकिन अब गांव का आदमी यह कहना भूल गया।

गांव की चौपाल पर अब देश विदेश की चर्चाएं होने लगी

महिला शिक्षा के प्रति जागरूकता इस कदर तक बढ़ी है कि अब पढी लड़की के लिए नौकरी करने वाला शिक्षित युवक ही लड़की वालों की प्राथमिकता में शामिल हो गया है। गांव में टीवी लगे तो गांव तक की ही सोचने वाले लोग अब देश में कहां भूकंप आ रहा है, शहर में कब पानी छूटेगा, बिजली की कटौती कब है, देश में राजनेताओं के क्या हालात है, विदेश में क्या हो रहा है।
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इन सब से सरोकार रखने लगा है। गांव की चौपाल पर अब देश विदेश की चर्चाएं होने लगी है। अब ऐसा कोई गांव शायद ही होगा जहां समाचार पत्र नहीं पहुंचता है। कब पानी बरसेगा, अब इंटरनेट के जरिए यह भी धरती पुत्रों को पता लगने लगा है।

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