गांव के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती-बाड़ी, गलीचा, चमड़े की जूतियां एवं पशु पालन कर दुग्ध उत्पादन हैं। गांव में अधिकतर परिवार खेती बाड़ी कर अपना जीवन यापन करते हैं, साथ पशु पालन कर दुग्ध उत्पादन भी करते हैं। गांव में कुछ कुछ परिवार चमड़े के व्यवसाय से भी जुड़े हैं जो चमड़े की बेहतरीन सुंदर जूतियां बनाकर बड़े बड़े शहरों में शोरूमों में सप्लाई होती है। वही बहुत से परिवार गलीचे कालीन बनाने के व्यवसाय से भी जुड़े हैं।
यातायात साधनों की समस्या
गांव में आवागमन के लिए साधनों की कमी है, जिससे लोग परेशान हैं। दौसा थानागाज़ी वाया अजबगढ़ स्टेट हाइवे 52 पर स्थित ग्राम बामनवास चौगान के माता स्टैंड से करीब 3 किमी साइड में डामर सडक़ गांव तक आती है लेकिन परिवहन का कोई साधन गांव तक नहीं आता। लोगों को स्टेट हाइवे 52 बामनवास चौगान माता स्टैंड पर से पैदल ही गांव तक आना पड़ता है ।
गांव संतों की तपोभूमि भी रहा हैं। यहां बहुत से सन्त शिरोमणियो ने तपस्या की है। गांव से 500 मीटर की दूरी पर आम के बगीचे में संत बाबा लक्कड़ दास, खाखी दास महाराज,अमर ज्योति महाराज सहित अनेक संतों की समाधियां छतरियां है। भाद्रपद मास में त्रयोदशी को बाबा लक्कड़ दास का मेला व भंडारा होता है।