सरिस्का को इस तरह मिलेगी जमीन
सरिस्का टाइगर रिजर्व के क्रिटिकल टाइगर हैबीटेट (सीटीएच) एरिया में
अलवर के 88 गांवों को इसमें शामिल किया गया था। इसका कुल रकबा 88,111 हैक्टेयर था। इसमें करीब 19 हजार हैक्टेयर रकबा वन विभाग के नाम आ गया। करीब 14 हजार हैक्टेयर रकबे का सर्वे होना है।
इस तरह 54,111 हैक्टेयर जमीन वन विभाग के नाम होनी है। मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा तो सरकार जागी और समयबद्ध तरीके से काम कर रही है। सरिस्का के क्षेत्र निदेशक संग्राम सिंह कटियार का कहना है कि प्रशासन की ओर से यह प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी। हमने पत्र समय-समय पर लिखे हैं।
नाहरगढ़ सेंचुरी का ये है मामला
नाहरगढ़ लेपर्ड सेंचुरी की लगभग 511 हैक्टेयर वन भूमि वन विभाग के नाम ट्रांसफर नहीं हो पाई। यह मामला नाहरगढ़ वन एवं वन्य जीव सुरक्षा सेवा समिति के सचिव कमल तिवाड़ी ने एनजीटी तक पहुंचाया। उसके बाद वन विभाग को भी अपनी जमीन की फिक्र हुई। उन्होंने राजस्व विभाग को पत्र लिखकर अपनी जमीन मांगी है। यह 1947 में आरक्षित वन क्षेत्र बनाया गया था। वर्ष 1980 में इसे सेंचुरी का दर्जा दिया गया। राजस्थान राजपत्र के अनुसार 1961 में आमेर के 39 गांवों की 12,374 हैक्टेयर जमीन इसमें शामिल कर दी गई थी। बाकी 511 हैक्टेयर शेष है। सुप्रीम कोर्ट व एनजीटी के निर्देश पर इसका म्यूटेशन करने की तैयारी हो रही है।
अगले माह तक शुरू होने की पूरी उम्मीद
सेंचुरी की जमीन का म्यूटेशन अगले माह तक शुरू होने की पूरी उम्मीद है। भू-प्रबंधन विभाग जयपुर का सहयोग मांगा गया है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन समयबद्ध तरीके से किया जाएगा। –प्रतीक जुईकर, एसडीएम अलवर