सिलीसेढ़ झील सरिस्का के कोर एरिया का हिस्सा है। सिलीसेढ़ झील के बहाव क्षेत्र में हो रहा अतिक्रमण किसी से छिपा नहीं है। सिलीसेढ़ झील में आने वाले पानी के रास्ते पर अवैध निर्माण शुरू हो गया है। पाल के पास अवैध रूप से होटलों का निर्माण चालू है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना की जा रही है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश हैं कि बांध, नदी, तालाब आदि के भराव क्षेत्र में अतिक्रमण नहीं हो सकता, लेकिन अलवर में प्रशासन की छूट और मिलीभगत से सिलीसेढ़ पर लगातार अतिक्रमण हो रहा है!
जयसमंद के रास्ते पर भी अतिक्रमण जयसमंद झील में रूपारेल नदी का पानी आता है। लेकिन रूपारेल और जयसमंद के बीच अतिक्रमण के कारण जयसमंद बांध में पानी की पूरी तरह से आवक नहीं हो सकी। मानसून काल बीतने के बाद इस जलस्रोत में पानी नहीं बचा है। रूपारेल नदी से जयसमंद बांध के बीच कई जगह अतिक्रमण कर दिए गए है, जिससे नदी का पानी बांध तक नहीं पहुंच पा रहा। बहाव क्षेत्र पर कुएं खोद दिए गए और कई जगह मेढ़ बना दी। बारिश से सरिस्का वन क्षेत्र के एनिकेट ने भी बांध का रूप ले लिया। यदि प्रशासन समय रहते सिलीसेढ़ और जयसमंद पर अतिक्रमण की सुध लेता तो इस साल इनकी तस्वीर भी कुछ और ही होती।
गाजूकी और साबी के अस्तित्व पर भी संकट अतिक्रमणकारियों ने अलवर में झील और बांध ही नहीं नदियों पर भी कब्जे कर लिए हैं। टेल्को चौराहे से आगे गाजूकी नदी के बहाव क्षेत्र पर अवैध रूप से दीवारें खड़ी कर दी गई। इससे कई जिलों की प्यास बुझाने वाली साबी नदी का अस्तित्व भी संकट में है। बारिश के समय उफनने वाली साबी नदी अतिक्रमण की भेंट चढ़ चुकी है। इससे यहां अब पानी दिखना मुश्किल हो गया है।