मानसून में रहती है पढ़ाई प्रभावित
समरा की गुजरों की ढाणी में 30 परिवार हैं। 77 साल बाद भी सड़क व नदी पर पुलिया नहीं होने से नदी पार कर आवागमन को मजबूर हैं। गांव में चिकित्सा का प्रबंध भी नहीं है। चार माह के लिए स्कूल प्रभावित रहता है। कोई बीमार हो जाए तो उसे चिकित्सालय तक पहुंचाना भी टेडी खीर होती है। ग्रामीण महेंद्र गुर्जर, सुमेर गुर्जर, हंसराज गुर्जर, नंदराम, मुकेश, रतनलाल गुर्जर ने पत्रिका को बताया कि कलेजे पर पत्थर रख कर बच्चों को वे पढ़ने भेजते हैं।अभिभावक रहते हैं चिंतित
अभिभावक और शिक्षक हर रोज नदी पार करते बच्चों को लेकर चिंता में रहते हैं। अभिभावक बच्चों को गांव से बाहर पढ़ने भेजना ही नहीं चाहते। लोगों ने बताया कि ढाणी में आंगनबाड़ी केंद्र तक नहीं है। ऐसे में गांव के करीब बीस-पच्चीस से अधिक मासूम हर रोज नदी को एक-दूसरे का हाथ पकड़कर पार कर समरा स्कूल पहुंच रहे हैं। बच्चों के सुरक्षित घर पहुंचने तक उनकी नजरें रास्ते से नहीं हटती है। खतरा इतना है कि थोड़ी सी भी चूक हुई तो तेज प्रवाह सब कुछ बहा ले जाए। बस्ते में दूसरी ड्रेस की व्यवस्था करनी पड़ती है। कई बार तो बच्चे बस्ते को विद्यालय में जमा कर खाली हाथ घर लौटते हैं।बहरोड़ MLA के बेटे की नई पारी, 2018 में हार के बाद ढूंढ़ रहे थे राजनीति की नई जमीन
पंचायत के पास बजट नहीं
गुर्जरों की ढाणी समरा में आने जाने का एक ही रास्ता है, जिसमें नदी पड़ती है। इसकी चौड़ाई और गहराई बहुत ज़्यादा। पुलिया बनाने का लगभग 45 लाख का प्रपोजल बना था। इतनी राशि ग्राम पंचायत के पास नहीं है।-रामवतार मीना, सरपंच समरा।
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मौके का निरीक्षण करेंगे
मौका निरीक्षण कर इस मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा।-अमिलाल यादव, उपखण्ड अधिकारी थानागाजी।