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Rajasthan Elections: एनसीआर का फंदा, पानी पहुंचा पाताल… युवाओं को रोजगार नहीं मिलने का मलाल

Rajasthan Assembly Election 2023: दस घंटे में करीब 460 किमी की यात्रा तय करने, प्रदेश के चार जिले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू एवं झुंझुनूं होकर हरियाणा के नारनौल कस्बे से होते हुए मैं अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे पहुंचा।

अलवरMay 21, 2023 / 09:15 am

Akshita Deora

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महेंद्रसिंह शेखावत/अलवर. Rajasthan Assembly Election 2023: दस घंटे में करीब 460 किमी की यात्रा तय करने, प्रदेश के चार जिले श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू एवं झुंझुनूं होकर हरियाणा के नारनौल कस्बे से होते हुए मैं अलवर जिले के बहरोड़ कस्बे पहुंचा। राठ के नाम से प्रसिद्ध तथा सियासी गलियारों में हमेशा चर्चा में रहने वाले बहरोड़ की हालात कमोबेश दो दशक पहले जैसी ही हैं।

नारनौल-अलवर मार्ग पर बने जयपुर-दिल्ली हाइवे ओवरब्रिज के नीचे जाम लगना रोज की बात है। दिल्ली एवं जयपुर के समान लगभग 125-125 किमी की दूरी पर बना आरटीडीसी का मिडवे अब ग्राहकों को तरसता है। कभी यहां 150 लोगों का स्टाफ हुआ करता था। वर्तमान में यहां आठ स्टाफर एवं 13 संविदाकर्मी हैं । मिड वे पर ही राजवीरसिंह से मुलाकात हुई। कहने लगे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शामिल होने का कोई फायदा नहीं है।

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वाहन खरीदो या चाहे जमीन रूपातंरण करवाओ बहुत सी औपचारिकताओं के कारण परेशान होती है। भिवाड़ी जाना पड़ता है। एनसीआर में वाहन 15 साल ही चल सकते हैं, इसीलिए वाहनों का रजिस्ट्रेशन कोटपूतली से करवाते हैं। वहीं मिले छत्रपाल गुप्ता कहते हैं कि उनके गांव बसई में दो सरकारी तथा पचास के करीब कुएं सूख चुके हैं। पानी लगातार नीचे जा रहा है। क्षेत्र के ग्राम अनंतपुरा के पास स्थित केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल के महाराणा प्रताप प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना के समय से इलाके में नहर आनी थी, प्रस्ताव भी बना लेकिन नहर नहीं आई। इलाके को बचाना और पलायन को रोकना है तो नहर ही विकल्प है। सत्यवीर यादव कहते हैं इलाके में कारखाने तो बहुत हैं, लेकिन इनमें स्थानीय युवाओं को रोजगार नहीं मिलता। बहरोड़ को कोटपूतली जिले में शामिल करने के सवाल पर यादव का कहना है कि अलवर से तो ठीक ही है। दूरी कम हो गई। उन्होंने बहरोड़ में सीवरेज की जरूरत भी बताई।

मुंडावर : न पालिका मिली, न कनेक्टिविटी
बहरोड़ से नीमराना और जाट बहरोड़ व मुंडनवाला कलां से मुंडावर जाने वाली सडक़ पर बने गड्ढे यहां की विकास की पोल खोल देते हैं। स्थानीय निवासी दीपेंद्र आर्य कहते हैं नगरपालिका की घोषणा पूरी नहीं हुई है। सरकारी कॉलेज में स्टाफ पूरा नहीं है। जिला मुख्यालय एवं अन्य शहरों से कनेक्टिविटी कम है। कस्बे के ही उजेंद्र जांगिड़ कहते हैं यहां बस स्टैंड का अभाव है। बहरोड़-हरसौली रोड बाइपास हो जाए तो कस्बे का यातायात का बोझ कम हो जाए। खनन मामले का निपटारा यहां विकास की राह खोल सकता है।
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किशनगढ़बास : अचानक मिली सौगात
मुंडावर से खैरथल होते हुए मैं किशनगढ़बास कस्बे में पहुंचा। खैरथल को जिला बनाने की घोषणा से लोग यहां खुश हैं। वो इसे अचानक मिली सौगात मनाते हैं। कस्बे के धीरसिंह एवं प्रकाशचंद्र सांवरिया यहां के गिरते भू-जल स्तर से चिंतित हैं। दोनों ने कस्बे में बरसाती पानी के भराव को बड़ी समस्या बताया। सूरजभान कछवाहा बोले, यहां नहर आ जाए तो इलाका चमन हो जाए, पलायन रुक जाए।

स्वास्थ्य योजनाएं लाभकारी
कैटरिंग व्यवसाय से जुड़े हरीश शर्मा सरकारी योजनाओं के संबंध में कहते हैं कि राज्य में स्वास्थ्य से जुड़ी योजनाओं में अच्छा काम हुआ है। विशेषकर चिरंजीवी योजना में सरकार ने बजट बढ़ाकर काफी राहत दी है। सरकारी अस्पतालों में मरीजों की भीड़ आ रही है।

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