यहां इस वर्ष से कला संकाय की पढ़ाई प्रारम्भ हो गई है। इस विद्यालय में बीते वर्ष 350 विद्यार्थी थे। विद्यालय प्रधानाचार्य तुलाराम गुप्ता कहते हैं कि इस बार यहां 450 से अधिक विद्यार्थियों की संख्या हो जाएगी। विद्यालय को नया स्वरूप दिए जाने के बाद अभिभावकों को यहां प्रवेश का क्रेज बढ़ा है।
डबल डेकर में बैठे प्राइमरी कक्षा के विद्यार्थी रेलवे स्टेशन स्कूल को नया लुक दिया है। इसे अलवर के पेन्टर सुरेश ने चित्रित किया है। इसकी परिकल्पना सर्व शिक्षा अभियान के इंजीनियर राजेश लवानिया ने की है। इसमें रेलवे जंक्शन का प्लेटफार्म बनाया है। स्कूल को रेलवे जंक्शन जैसा लुक दिया है। यहां ट्रेन फेयरी क्वीन, डबल डेकर का रूप दिया है। डबल डेकर के बने डिब्बों में प्राइमरी कक्षाओं के विद्यार्थी बैठते हैं।
यहां रेश्मी देवी नानक चंद मित्तल फाउंडेशन के डॉ. एससी मित्तल ने इस स्कूल को रंगीन बनवाया है। यहां सर्व शिक्षा अभियान की ओर से 3 और कमरे बनाए जा रहे हैं जिन्हें शताब्दी ट्रेन का लुक दिया जाएगा। इस विद्यालय में खेल मैदान, पौधे लगाने और घास उगाने की तैयारी की जा रही है। इस स्कूल को रेलवे जंक्शन का लुक देने के बाद लोग इसे देखने आने लगे हैं।
पूरे देश में हो गया प्रसिद्ध अलवर का रेलवे स्टेशन स्कूल पूरे देश में प्रसिद्ध हुआ है। दूर-दूर से लोग इस स्कूल में फोटो खिंचाने के लिए आ रहे हैं। गर्मियों की छुट्टियों में भी इस स्कूल को कई लोग देखने आए।