इसी वजह से पपला गुर्जर की तलाश में राजस्थान पुलिस के साथ हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और दिल्ली पुलिस ने संयुक्त ऑपरेशन की योजना बनाई लेकिन मात्र 25 दिन में ही पांचों राज्यों की पुलिस का तालमेल टूट गया। कहने को तो इन पांचों राज्यों की पुलिस पपला के पीछे है, लेकिन उसकी गिरफ्तारी के गंभीरता से प्रयास सिर्फ राजस्थान पुलिस ही कर रही है।
काट दी थी दो राज्यों की पुलिस की नाक पपला गुर्जर हरियाणा और राजस्थान पुलिस की नाक काट चुका है, लेकिन फिर भी ऑपरेशन पपला को हरियाणा, पंजाब, उत्तरप्रदेश और दिल्ली पुलिस गंभीरता से नहीं ले रही है। वर्ष-2017 में पपला महेन्द्रगढ़ कोर्ट में पुलिस पर गोलियां बरसाकर भाग गया था। तब से हरियाणा पुलिस पपला के पीछे है।
पांच सितम्बर की रात बहरोड़ पुलिस ने पपला को पकड़ा और इसके कुछ ही घंटों बाद थाने में एके-47 से गोलियां बरसा पपला को छुड़ा ले गए थे।
हरियाणा में 21 को हैं चुनाव हरियाणा में विधानसभा चुनाव 21 अक्टूबर को हैं। चुनाव में माहौल खराब होने की आड़ में हरियाणा पुलिस शुरुआत से ही पपला और उसके साथियों के एनकांउटर के खिलाफ थी। चुनाव की तारीख घोषित होते ही पुलिस ने पपला गुर्जर की गिरफ्तारी के प्रयासों से भी पल्ला झाड़ लिया।
राजस्थान पुलिस नहीं छोड़ रही पीछा पपला और उसके साथियों ने बहरोड़ थाने में फायरिंग कर राजस्थान पुलिस के माथे पर कलंक लगा दिया है। जिसे धोने के लिए राजस्थान पुलिस हर कीमत पर उसे पकडऩे अथवा मार गिराने की कोशिश में है। एसओजी और राजस्थान पुलिस की कई टीम पपला की तलाश में सरगर्मी से जुटी है। एसओजी अब तक पपला गिरोह के 22 बदमाशों को गिरफ्तार चुकी है।