Alwar : आरएसआरडीसी व यूआईटी की लड़ाई में तिजारा फाटक ओवरब्रिज कभी भी धंस सकता है। दोनों विभागों में मरम्मत से लेकर भुगतान को लेकर खींचतान चल रही है, लेकिन कदम कोई आगे नहीं बढ़ा रहा है। ओवरब्रिज की हालत खस्ता होने के संकेत एक माह से मिल रहे हैं, लेकिन संबंधित विभाग गंभीरता से नहीं ले रहे। कभी टाइलों से रोडि़यां बाहर आ रही हैं तो कभी मिट्टी। यह लगातार हो रहा है। टाइलों का गैप भी धीरे-धीरे बढ़ रहा है। प्रशासन ने यदि गंभीरता से नहीं लिया तो बड़ा हादसा हो सकता है। आसपास की जनता भयभीत है। यदि ओवरब्रिज गिरा तो नुकसान उनको भी होगा।
हर तीन साल में ओवरब्रिज की करनी थी मरम्मतआरएसआरडीसी ने वर्ष 2011 में तिजारा फाटक ओवरब्रिज का निर्माण किया था। उसके बाद इसे यूआईटी को हैंडओवर कर दिया। हर तीन साल में ओवरब्रिज की मरम्मत करनी थी, लेकिन यह नहीं हो पाई। यूआईटी ने सीधे वाहनों का संचालन कर दिया, जबकि मरम्मत के बाद ही संचालन शुरू होना चाहिए था। इस ओवरब्रिज से हर दिन करीब 80 हजार वाहन गुजरते हैं। भारी वाहन सर्वाधिक आते हैं। पुल का ऊपरी हिस्सा घिसा हुआ है। सड़कऊबड़खाबड़ है। ऐसे में भारी वाहनों का दबाव सड़क के कारण नीचे तक ज्यादा आ रहा है। इसी कारण रोडि़यां बाहर आई। मिट्टी लगातार टाइलों से निकल रही है, जिसके ढेर भी लगते जा रहे हैं। करीब 19 करोड़ की लागत से बने इस ओवरब्रिज में कंपन भी हो रहा है। आसपास के लोगों का कहना है कि हर दिन यहां से 40 से ज्यादा ट्रेनें गुजरती हैं। ऐसे में टाइल आदि हिलती हैं। ओवरब्रिज से पानी की निकासी का बंदोबस्त नहीं है। पूरा पानी ओवरब्रिज में ही समाता है।
इस तरह किया कोरम पूरा वर्ष 2011 में जब यह ओवरब्रिज बना तो उस दौरान भी गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, लेकिन किसी ने गौर नहीं किया। एक साल पहले भी की तकनीकी जांच की गई थी। मरम्मत की आवश्यकता थी, लेकिन कागजी कोरम पूरा कर दिया गया। हालत ओवरब्रिज की पहले जैसी ही है। लोगों का कहना है कि यही हाल रहा तो यह ओवरब्रिज एक दिन गिर जाएगा।
टाइलों का गैप बढ़ना व मिट्टी निकलना ठीक नहीं यूआईटी से सेवानिवृत्त एक्सईएन प्रमोद शर्मा कहते हैं कि यदि किसी ओवरब्रिज की टाइलों को गैप बढ़ रहा है और मिट्टी, रोडि़यां निकल रही हैं तो यह अलर्ट का संकेत है। संबंधित विभागों को ओवरब्रिज की जांच करके मरम्मत करनी चाहिए।
हमने यह ओवरब्रिज यूआईटी को हैंडओवर कर दिया। हमारे 59 लाख रुपए का भी भुगतान नहीं किया। हर तीन साल में ओवरब्रिज की मरम्मत होनी चाहिए। यूआईटी ही इसके लिए जिम्मेदार है। मरम्मत होने से ओवरब्रिज ठीक हो जाएगा।
मनोज श्रीवास्तव, पीडी, आरएसआरडीसी आरएसआरडीसी ने यह प्रोजेक्ट हमें हैंडओवर नहीं किया है। यदि इसके कागज हैं तो वह दिखाएं। निर्माण के दौरान जो कमियां टीम में पाई थी, वह दुरुस्त करवाकर हमें हैंडओवर करना था, जो कमियां दूर नहीं हो पाईं। ओवरब्रिज की मरम्मत आरएसआरडीसी को ही करवानी है।
योगेंद्र कुमार, एक्सईएन, यूआईटी