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अलवर

एक अध्यापक को बाढ़ राहत में, दूसरे की लगा दी खेल में ड्यूटी

बच्चों को पढ़ाई चौपट, रात्रि चौपाल में बच्चों व अ​भिभावकों ने उठाई मांग।

अलवरSep 13, 2024 / 12:18 am

Ramkaran Katariya

गोविन्दगढ़. ग्राम पंचायत बारोली में बुधवार रात रात्रि चौपाल का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता तहसीलदार रमेश खटाना ने की। इस दौरान सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों ने रात्रि चौपाल में ज्ञापन सौंप कर सामाजिक विज्ञान और पर्यावरण विषय के अध्यापक को नियम विरुद्ध अलवर में प्रतिनियुक्ति ये वापस स्कूल में लगाने की मांग की। नियम विरुद्ध एक अध्यापक शारीरिक शिक्षक न होने के बावजूद खेल प्रभारी के रूप में ड्यूटी लगवा ली तो दूसरे अध्यापक ने बाढ़ राहत कार्य में ड्यूटी लगवा ली। विद्यार्थियों को पढ़ाने के लिए अध्यापकों की कमी है। दोनों ही अध्यापक तृतीय श्रेणी में आते हैं।
ग्रामीणों ने विद्युत लाइन हटवाने, आबादी से अतिक्रमण हटवाने और किसान सम्मान निधि के पैसे डलवाने को लेकर भी परिवाद दिए। चौपाल में चार परिवाद प्राप्त हुए। इधर स्कूल के मामले में जिला शिक्षा अधिकारी से संपर्क का प्रयास किया लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। मामले में अध्यापक बारौली गुलाब का कहना है कि मुझे अगस्त माह में बाढ़ राहत कार्य में अलवर लगाया गया है। वहीं अध्यापक भारत भूषण बारौली का कहना है कि पहले विधानसभा और लोकसभा चुनाव थे। उस समय मेरी ड्यूटी लगी थी। अलवर में खेल चल रहे हैं। इसमें शतरंज खेल के लिए मुझे लगाया गया है। उससे पूर्व में गोविंदगढ़ था।
साहड़ोली का बालिका विद्यालय बदहाल, दो ग्राम पंचायतों के परिसीमन से अटका स्कूल का विकास

नौगांवा. तत्कालीन राज्य सरकार की ओर से गांव और ढाणियों के सरकारी विद्यालयों को क्रमोन्नति की दी गई सौगात अब उन विद्यालयों की बदहाली का कारण बन रही है। इसी बदहाली का दंश इन दिनों साहडोली का बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय झेल रहा है।
गौरतलब है कि राजकीय बालिका विद्यालय साहडोली को अगस्त 2022 में शिक्षा विभाग ने उच्च प्राथमिक से सीधे उच्च माध्यमिक में तब्दील कर दिया। विभाग ने विद्यालय का दर्जा तो बढाया, लेकिन सुविधाओं का दर्जा बढाना भूल गया। ऐसे में इस स्कूल के हालात संसाधनों के लिहाज से काफी खराब है। भले ही प्रदेश सरकार बालिका शिक्षा को बढावा देने का ढिंढोरा पीटती हो, लेकिन कई बार समस्याओं से अवगत कराने के बाद सुविधाओं से मोहताज इस विद्यालय की सुध लेने वाला कोई नहीं है। विद्यालय आने के लिए रास्ते का अभाव है। बारिश के दिनों में पानी भरने और कीचड होना आम बात है। नौनिहालों को गंदगी भरे रास्ते से स्कूल आना पडता है। खराब रास्ते के कारण पोषाहार की गाडी स्कूल के काफी दूर खड़ी हो जाती है। बच्चों को ही स्कूल तक पोषाहार ले जाने को मजबूर होना पडता है।
7 कमरों में से 5 में टपकता है पानी

विद्यालय में भवन के नाम केवल 7 कमरे और एक रसोई है। भवन पुराना होने से जर्जर हालत में है। इसके 5 कमरे बारिश के दिनों में टपकते है, जिसके कारण एक-एक कमरे में कई-कई कक्षाओं को बैठाकर अध्यापन कार्य कराया जाता है। कई बार ज्यादा बारिश होने पर बच्चों की छुुुुुुुुटटी तक करने को मजबूर होना पडता है। विद्यालय के रसोई भवन में भी कई बार बच्चों को बैठाना पडता है। गौरतलब है कि पूर्व में यह विद्यालय साहडोली ग्राम पंचायत में था और विद्यालय का नाम भी साहडोली था। वर्ष 2020 में ग्राम पंचायतों के परिसीमन के बाद साहडोली में से ही अलग पंचायत ठेगी का बास बन गई। अब विद्यालय ठेगी का बास ग्राम पंचायत में है और विद्यालय का नाम साहडोली है। ऐसे में विडंबना ये है कि दोनों ग्राम पंचायतों के जनप्रतिनिधि विद्यालय विकास का कार्य ग्राम पंचायत से करवाने में अपना पल्ला झाडते है। विद्यालय का विकास नहीं होने से अब अभिभावक अपने बच्चों को स्कूल भेजने में गुरेज करने लगे हैं।
गणित-विज्ञान के शिक्षक का अभाव

विद्यालय के उच्च माध्यमिक में क्रमोन्नत होने के बाद स्कूल में पदों की स्वीकृति करना शिक्षा विभाग व सरकार भूल गई। अब आलम ये है कि बगैर वरिष्ठ अध्यापक और व्याख्याता के स्कूल के नौनिहालों को पढ़ाने का जिम्मा यहां पहले से पढ़ा रहे तृतीय श्रेणी अध्यापकों पर हैं। विद्यालय में 269 का नामांकन है। गणित और विज्ञान के द्वितीय श्रेणी के अध्यापक नहीं है, जिसके कारण उनकी पढाई का जिम्मा भी तृतीय श्रेणी अध्यापक ही निभा रहे है।
कई बार अवगत कराया

राबाउमावि साहड़ोली कल्पना शर्मा प्रधानाचार्य ने बताया कि विद्यालयों की समस्याओं को लेकर विभाग और प्रशासनिक उच्चाधिकारियों को कई बार अवगत कराया है। नीतू करौलउपखण्ड अधिकारी, रामगढ़ का कहना है कि
विद्यालय क्रमोन्नत के कारण अभी सुविधाओं को बढाने में समय लगेगा, फिर भी ऐसी कोई ज्यादा समस्या आ रही है तो स्थानीय जनप्रतिनिधियों एवं स्थानीय प्रशासन स्तर पर समस्या का समाधान कराया जाएगा। विश्राम गोस्वामी एसीबीईओं, रामगढ़ का कहना है कि स्थानीय निकाय यदि विद्यालय के लिए भूमि का आंवटन कर दे तो भवन के लिए प्रस्ताव समसा को भेजा जा सकता है, जिससे भवन की समस्या का निदान हो सकेगा।

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