ताकि आवश्यक उपकरण व मशीनें वहां लगाकर कोरोना के मरीजों का बेहतर इलाज किया जा सके। करीब 20 दिन पहले ही जिला प्रशासन ने चिकानी रोड पर एक निजी अस्पताल को कोविड में तब्दील कर दिया। जहां पूरी सुविधाएं नहीं हैं। मरीजों को जांच के लिए जिला अस्पताल लेकर आना पड़ता है। जिला अस्पताल से ही मेडिकल टीम मरीजों की जांच करने जाती है। लेकिन, चार माह में जिला प्रशासन कोई भी सम्पूर्ण सुविधायुक्त अस्पताल उपलब्ध नहीं कर पाया है।
कोविड फ्री नहीं हो पा रहा जिला अस्पताल अब पिछले करीब 20 दिनों से जिला अस्पताल को कोविड फ्री करने पर मौखिक तो खूब जोर है लेकिन, व्यवहारिक रूप से प्रयास कमजोर हैं। तभी तो जिला अस्पताल के वार्ड से लेकर आइसीयू तक अब भी कोरोना के मरीज भर्ती हैं। तैयारियां इसी रफ्तार से आगे बढ़ी तो जिला अस्पताल में न कोरोना मरीजों को पूरा इलाज मिल सकेगा न यहां दूसरी बीमारी के मरीजों का बेहतर इलाज हो सकेगा। अधरझूल में प्रक्रिया है।
कोविड जांच लैब में भी यही हुआ सरकार की घोषणा के करीब ढाई माह बाद में कोरोना की जांच लैब शुरू हो सकी। लैब को संचालित की करने की प्रक्रिया व तैयारी बेहद धीमी गति से होती रही। तब तक कोरोना का जिले में संक्रमण फैलता रहा। यदि जांच लैब एक से सवा माह पहले शुरू हो जाती तो हजारों सैंपल की जांच हो चुकी होती। जिससे प्रशासन को कोरोना के संक्रमण को रोकने में काफी हद तक मदद मिलती। आमजन को भी संक्रमण के बारे में पता चलता तो सावधानी अधिक होती। अब जांच लैब शुरू होने के बाद सैंपल की संख्या भी नहीं बढ़ाई जा रही। शुरू से ही करीब दो सौ के आसपास सैंपल की जांच होती है।
संक्रमण की रफ्तार देखिए, इसकी तुलना में तैयारी नहीं मार्च माह में कुल मरीज 01 अप्रेल माह में कुल मरीज 09 मई माह में कुल मरीज 45 जून माह में कुल मरीज 476
जुलाई माह में कुल मरीज 3414