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New District In Rajasthan: राजस्थान के नए जिलों को लेकर आई अब ये बड़ी खबर

Rajasthan New District: राज्य सरकार ने अलवर सहित प्रदेश में 19 नए जिलों की घोषणा की है, लेकिन धरातल पर इसे उतारने के लिए करोड़ों रुपए का सरकारी निवेश जरूरी है। एक नए जिले में करीब 40 बड़े विभागों सहित 80 से 100 छोटे कार्यालयों की जरूरत होती है।

अलवरMay 01, 2023 / 02:02 pm

Santosh Trivedi

rajasthan map

पत्रिका न्यूज़ नेटवर्क/अलवर. Rajasthan New District: राज्य सरकार ने अलवर सहित प्रदेश में 19 नए जिलों की घोषणा की है, लेकिन धरातल पर इसे उतारने के लिए करोड़ों रुपए का सरकारी निवेश जरूरी है। एक नए जिले में करीब 40 बड़े विभागों सहित 80 से 100 छोटे कार्यालयों की जरूरत होती है, वहीं 500 से एक हजार अधिकारी एवं कर्मचारी जिले के प्रशासनिक एवं अन्य विभागों के संचालन के लिए जरूरी हैं। इतना ही नहीं नए जिले में अधिकारी एवं कर्मचारियों को आवास सुविधा के लिए 500 से ज्यादा क्वार्टर भी जरूरी हैं।

 

राज्य सरकार ने पिछले दिनों अलवर को तीन जिलों में बांट कोटपूतली- बहरोड़ एवं खैरथल नए जिलों की घोषणा की है। चुनावी साल होने के कारण नए जिलों की घोषणा को अमलीजामा पहनाना भी जरूरी है। लेकिन नए जिले के गठन के लिए करोड़ों रुपए की सरकारी राशि का निवेश सरकार के लिए अब चुनौती बन गई है।

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एक बार करोड़ों का खर्च, लोगों को लाभ भी: प्रशासनिक विशेषज्ञों के अनुसार राज्य सरकार को नया जिला बनाने पर आर्थिक खर्च एक बार ही करना होगा। लेकिन इससे सरकार और जनता को बड़ा फायदा होगा। अफसरों की सैलरी, ऑफिस एस्टेबलिशमेंट, गाड़ियां आदि खर्चा को मोटे रूप से देखें तो करीब 50 लाख रुपए प्रति जिला एक समय खर्च करने पड़ सकते हैं। इसके बाद यह खर्च रनिंग में आ जाती है। वहीं कलक्ट्रेट भवन, पुलिस लाइन, कोषालय एवं अन्य विभागों के कार्यालय आदि के लिए जमीन अलॉटमेंट और भवन निर्माण में करोड़ों रुपए खर्च करना होगा। लेकिन इस खर्च से सरकार के लिए नया रेवेन्यू मॉडल बन सकेगा।

 

गुड गवर्नेंस और तेज सर्विस का मिलेगा लाभ: प्रशासनिक विशेषज्ञों का मानना है कि गुड गवर्नेंस और फास्ट सर्विस डिलीवरी छोटे जिलों से ही संभव है। जिले का दायरा बड़ा होता है तो जिला मुख्यालय आने-जाने के लिए ही जनता को 150-200 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। छोटे जिले होते हैं तो प्रशासनिक व्यवस्थाओं पर निगरानी बनी रहती है। दूर-दराज गांवों तक के लोगों को जिला मुख्यालय पर बैठे अफसरों तक पहुंचने में आसानी रहती है। जिलों का आकार छोटा होने से प्लानिंग उतनी ही कारगर होगी। गांव, पंचायत, ब्लॉक और जिला मुख्यालय का सीधा संवाद होगा। विकास की रफ्तार तेज, कानून और व्यवस्था बेहतर, कनेक्टिविटी बढ़ेगी, सरकारी योजनाओं को आम लोगों तक ज्यादा आसानी से पहुंचाया जा सकेगा, राजस्व भी बढ़ेगा।

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दो से तीन साल का लगेगा समय
नया जिला बनाने की अधिसूचना जारी होने और सीमाएं तय करने के बाद प्रशासनिक कार्यालय, पुलिस स्टेशन, अस्पताल, स्कूल और अन्य आवश्यक सेवाएं और जन सुविधाएं स्थापित किए जाएंगे। हालांकि जिला मुख्यालय बनाने से लेकर अन्य विभागों के कार्यालय बनाने में दो से तीन साल का समय लगेगा. जिला मुख्यालय के लिए जमीन आवंटित की जाएगी. उसके बाद भवन निर्माण के लिए ठेका दिया जाएगा, जिसके बाद कार्य शुरू होगा।

 

प्रशासन व नागरिकों के बीच घटेगा फासला
छोटे जिले होने से जिला मुख्यालय से गांवों और कस्बों की दूरियां घटेंगी, वहीं प्रशासन और नागरिकों के बीच संवाद बढ़ेगा और फासले मिटेंगे। कलक्टर, एडीएम, एसडीओ सहित सरकारी मशीनरी की रफ्तार भी तेज होगी। सभी की मुख्यालयों तक पहुंच के साथ सड़क, पानी, बिजली, सफाई जैसी मूलभूत सुविधाओं में सुधार होगा। औद्योगिक विकास तेज होगा।

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