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अलवर

एयरपोर्ट तो दूर हवाई पट्टी तक नहीं बन सकी

एनसीआर में शामिल अलवर जिले को बरसों से एयरपोर्ट का इंतजार है, लेकिन सरकारें आज तक यहां हवाई पट्टी तक विकसित नहीं कर पाई। डीएमआईसी कॉरिडोर के कारण राज्य सरकार ने नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नागरिक विमान निदेशालय को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए नहीं मिलने के कारण एक दशक से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है। जिससे अलवर के विकास में कहीं ना कहीं बाधा आ रही है।

अलवरJul 23, 2024 / 06:27 pm

Pradeep

ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे का प्रस्ताव भी फाइलों में अटका
अलवर. एनसीआर में शामिल अलवर जिले को बरसों से एयरपोर्ट का इंतजार है, लेकिन सरकारें आज तक यहां हवाई पट्टी तक विकसित नहीं कर पाई। डीएमआईसी कॉरिडोर के कारण राज्य सरकार ने नए ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट का प्रस्ताव दिया था, लेकिन नागरिक विमान निदेशालय को ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए नहीं मिलने के कारण एक दशक से यह प्रोजेक्ट अटका हुआ है। जिससे अलवर के विकास में कहीं ना कहीं बाधा आ रही है।
करीब 11 साल पहले अलवर में विकसित किए जाने वाले ग्रीनफील्ड हवाई अड्डे के लिए दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना के तहत डीएमआईसी डीसी के आवेदन पर रक्षा मंत्रालय ने अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) जारी कर दिया था। पुराने अलवर जिले में कोटकासिम को हवाई अड्डे के लिए उपयुक्त माना गया था। सरकार का उद्देश्य से था कि इससे दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर (डीएमआईसी) के तहत भिवाड़ी, चौपानकी, टपूकड़ा, नीमराना और बहरोड़ जैसे औद्योगिक क्षेत्रों मेें विकास की राह खुल जाएगी, लेकिन कोटकासिम में नागरिक विमान निदेशालय द्वारा ग्रीनफील्ड एयरपोर्ट के लिए तलाशी जा रही जमीन नहीं मिलने से 11 साल से चल रही कवायद लगभग थम चुकी है।
औद्योगिक क्षेत्र नहीं भर पा रहा उड़ान
जिले के उद्यमियों को विदेश या देश के ही प्रमुख शहरों में जाने के लिए दिल्ली या जयपुर एयरपोर्ट का सहारा लेना पड़ता है। इसके लिए करीब 125 किमी का सफर तय करना पड़ता है। साथ ही चार से पांच घंटे का समय लग जाता है। ऐसे में उद्यमी व व प्रमुख लोग चाहते थे कि जिले में ही एयरपोर्ट स्थापित हो ताकि अपने उद्योगों को नई उड़ान दी जा सके।
थानागाजी में हवाई पट्टी, अलवरको इंतजार
अलवर जिले में फिलहाल थानागाजी में हवाई पट्टी है, लेकिन ये काफी छोटी है और इसके विस्तार की गुंजाइश नहीं है। वहीं, देखरेख के अभाव में हालत भी खस्ता है। नागरिक विमान निदेशालय ने अलवर जिला प्रशासन को हवाई पट्टी के लिए जमीन तलाशने के निर्देश दिए थे। इसके लिए न्यूनतम 11 हजार फीट यानी लगभग 3352 मीटर लंबाई व 400 फीट चौड़ी समतल जमीन चिह्नित करने को कहा था, लेकिन हवाई पट्टी का मामला भी ठंडे बस्ते में चला गया।

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