वर्ष 1984, राजस्थान के वर्तमान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजीव गांधी के मंत्रीमंडल में बने रहे। इसके ठीक अगले साल 1985 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए। कांग्रेस को 200 में से 113 सीट मिली, कांग्रेस ने हरिदेव जोशी को सूबे का मुख्यमंत्री बनाया। लेकिन राजीव गांधी ने प्रदेश मेंं स्थिर पकड़ बनाने के लिए युवा अशोक गहलोत को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष बनाकर जयपुर भेजा। राजीव गांधी राजस्थान में युवा संगठन बनाना चाहते थे। राजीव गांधी संगठन और सरकार में युवाओं को प्राथमिकता देना चाहते थे, इस वजह से उन्हें हरिदेव जोशी दुरुस्त नहीं लगते थे। गहलोत जयपुर पहुंच गए, युवा राजेश पायलट और बलराम जाखड़ जैसे नेता उनके साथ हो गए। इससे मुख्यमंत्री हरिदेव जोशी की असहजता बढ़ गई।
फिर सरिस्का में थी बैठक वर्ष 1988 के जनवरी माह में अलवर जिले के सरिस्का उद्यान में केन्द्र की केबिनेट मीटिंग रखी गई, राजस्थान में वर्ष 1987 में अकाल पड़ा था। इस वजह से सरिस्का में मीटिंग की खूब आलोचना हुई। राजीव ने मीटिंग को रद्द नहीं किया, बल्कि उन्होंने मंत्रियों व नेताओं से निजी वाहनों से सरिस्का पहुंचने को कहा। राजीव ने सख्त निर्देश दिए कि सरकारी अमले को इस बैठक से दूर रखा जाए। राजीव खुद अपनी कार चलाकर सरिस्का पहुंचने वाले थे। राजीव जैसे ही सरिस्का से ठीक पहले पडऩे वाले चौराहे पर पहुंचे, वहां तैनात एक कांस्टेबल ने उन्हें बाएं मुडऩे का इशारा किया। राजीव गांधी अपनी कार को बाईं ओर ले गए, रास्ता एक मैदान में जाकर खत्म हुआ।
राजीव ने देखा कि वहां सरकारी गाडिय़ों का जमघट था, राजीव समझ गए कि उनसे छिपाकर सरकारी अमले को यहां तैनात किया गया है। राजीव क्रोधित हो गए, उन्होंने हरिदेव जोशी को जमकर फटकार लगाई। जोशी द्वारा आयोजित भोजन ग्रहण करने से इनकार कर दिया। हरिदेव जोशी सरकार पर गाज गिर गई। उसी माह 20 जनवरी 1988 को जोशी का इस्तीफा हो गया। उस समय राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा आम थी कि अशोक गहलोत ने ही उस कांस्टेबल को राजीव गांधी की गाड़ी को बाएं मुडऩे का इशारा करने को कहा था।