दरअसल, विभाग ने पहले नियम बनाया था कि एक हैक्टेयर क्षेत्र में खनन हो रहा है तो 0.33 हैक्टेयर में वनीकरण जरूरी है। मगर खनन क्षेत्र में पाैधे पनपते नहीं है, इस वजह से आदेश दिया गया कि प्रदूषण नियंत्रण के बताए अनुसार एक अमाउंट वन विभाग में जमा कराना होगा। इसके बाद वन विभाग इस पैसे का उपयोग वनीकरण में करेगा। हालांकि अभी तक कोई ऐसा मैकेनिज्म तैयार नहीं हो पाया है, जिससे पता लग जाए कि वनीकरण हो रहा है या नहीं।
कई खानें हो चुकी है बंद, 100 से ज्यादा अब भी चालू
जिले में सर्वाधिक खाने टहला क्षेत्र में संचालित थीं, लेकिन सरिस्का के क्रिटिकल टाइगर हैबिटेट (सीटीएच) में होने की वजह से 90 से ज्यादा खानों को बंद किया जा चुका है। इसके अलावा भी जिले में अब भी 100 से ज्यादा खाने संचालित हो रही है, जहां खनन का काम किया जा रहा है। -
जहां अवैध खनन, वहां भी आंखें मूंदी
वैध खनन पर तो यह नियम लागू कर रखा है, लेकिन जिले में कई जगहों पर जमकर अवैध खनन किया जा रहा है, वहां भी वनीकरण को बढ़ाने पर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। खनन विभाग भी अवैध खनन पर प्रभावी कार्रवाई नहीं कर पा रहा है। जटियाना, आरटीओ कार्यालय के पास, रामगढ़, नौगांवा, मालाखेड़ा और टपूकड़ा में जमकर अवैध खनन किया जा रहा है।
21 लाख पौधे लगाने का दावा
मानसूनी सीजन में जिले में 21 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। वन विभाग का दावा है कि यह लक्ष्य पूरा कर लिया गया है। हालांकि हर साल ही लक्ष्यानुसार पौधे लगाने का दावा किया जाता है, इसके बाद भी जिले में कंक्रीट का जंगल बढ़ता जा रहा है।