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दिल्ली-जयपुर हाइवे पर डिवाइडर से चालक कूदा रहे वाहन, ऐसी लापरवाही में कई गंवा रहे ‘जान’

दिल्ली-जयपुर हाइवे पर एक दिन पहले हुए दिल दहला देने वाले बड़े हादसे के बाद भी वाहन चालकों गुरुवार को और भी चौंकाने वाली स्थिति देखी गई। दिल्ली-जयपुर हाइवे पर हरियाणा राज्य के धारूहेड़ा के खरखड़ा गांव के पास धड़ल्ले से वाहन चालक डिवाइडर से वाहनों का कूदाते नजर आए।

अलवरSep 29, 2022 / 09:45 pm

Ramkaran Katariya

दिल्ली-जयपुर हाइवे पर खरखड़ा के पास डिवाइडर से वाहन कूदाते वाहन चालक।

भिवाड़ी. दिन-रात को मिलाकर समयावधि 24 घंटे होते है, लेकिन फिर भी यह अवधि भागदौड़ की जिंदगी वालों के लिए शायद कम पड़ती नजर आ रही है। विशेषकर उनके लिए जो, चमचमाती चौपहिया गाडिय़ों को आम सडक़ों पर ही नहीं, बल्किी दिल्ली-जयपुर जैसे व्यस्ततम हाइवे पर फर्राटे से दौड़ाते हैं। वाहन को दौड़ाते समय लापरवाही की हदे इतनी पार कर जाते हैं कि न उन्हें गति का भान रहता और न ही स्वयं की जिंदगी के साथ परिवार, बाल-बच्चों का। ऐसा रोजाना देखने को मिल रहा है। बड़े हादसे हो रहे हैं, लेकिन इनसे सबक नहीं लेते नजर नहीं आ रहे। एक दिन पहले बुधवार को दिल्ली-जयपुर हाइवे पर हरियाणा राज्य के रेवाड़ी जिले स्थित संगवाड़ी के पास कार व हरियाणा रोडवेज बस की भिड़ंत में पांच घरों के चिराग बुझ गए थे और बस की करीब एक दर्जन सवारियां घायल हो गई थी। इतने बड़े हादसे से सनसनी दूसरे दिन भी फैली रही, लेकिन वाहन चालकों की लापरवाही बदस्तूर देखी गई।

दिल्ली-जयपुर हाइवे पर एक दिन पहले हुए दिल दहला देने वाले बड़े हादसे के बाद भी वाहन चालकों गुरुवार को और भी चौंकाने वाली स्थिति देखी गई। दिल्ली-जयपुर हाइवे पर हरियाणा राज्य के धारूहेड़ा के खरखड़ा गांव के पास धड़ल्ले से वाहन चालक डिवाइडर से वाहनों का कूदाते नजर आए।
दिल्ली-जयपुर हाइवे पर रेवाड़ी की करीब 38 किलोमीटर सीमा में 100 से अधिक कट बने हुए है। बताया यह भी जाता है कि इनके कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। दूसरी ओर इतने कट होने के बावजूद वाहनों को सीधे डिवाइडर से कुदाते देखा जा रहा है। ग्रामीणों के अनुसार एक दिन पहले हादसे के शिकार महेश, कपिल और सचिन की करीब डेढ़ साल पहले ही शादी हुए हुई थी। तीनों को कोई संतान नहीं है। नितेश और सोनू अविवाहित थे। नितेश और कपिल अपने माता की पिता की इकलौती संतान थे। हादसे में मौत से उनके घरों का चिराग बुझ गया है। दोनों के माता-पिता व परिजनों का रो-रोक कर बुरा हाल है। दोनों के पिता खेती बाड़ी करते हैं। उन्हें अपने-अपने चिरागों से उम्मीद थी कि वे जल्द ही सेना में भर्ती होकर उनका सहारा बनेंगे। इधर जिन घायलों को अस्पताल में भर्ती कराया है, सभी को छुट्टी दे दी गई है।

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