ऐसे खेलते हैं डोलची मार होली
धुलंडी पर सुबह दस बजे तक रंग गुलाल की होली खेली जाती है। दस बजे ढोल नगाडों और डीजे की धुनों के साथ नाचते गाते लोग श्रीसीताराम मन्दिर चौक के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में लोग इन पर रंग गुलाल डालते रहते हंै और कस्बे के लोग श्रीसीताराम मंदिर पहुंचते हैं । मंदिर के चौक में दो तरफ पर्याप्त मात्रा में पानी भरा जाता है। इस पानी में डोलची मार होली खेली जाती है। डोलची में पानी भरकर दूसरे पक्ष के लोगों पर तेजी से मारा जाता है । डोलची में भरे पानी की मार लटठ की मार के समान होती है । जिस पक्ष का पानी पहले समाप्त हो जाता है ,उसे हारा माना जाता है।
धुलंडी पर सुबह दस बजे तक रंग गुलाल की होली खेली जाती है। दस बजे ढोल नगाडों और डीजे की धुनों के साथ नाचते गाते लोग श्रीसीताराम मन्दिर चौक के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में लोग इन पर रंग गुलाल डालते रहते हंै और कस्बे के लोग श्रीसीताराम मंदिर पहुंचते हैं । मंदिर के चौक में दो तरफ पर्याप्त मात्रा में पानी भरा जाता है। इस पानी में डोलची मार होली खेली जाती है। डोलची में पानी भरकर दूसरे पक्ष के लोगों पर तेजी से मारा जाता है । डोलची में भरे पानी की मार लटठ की मार के समान होती है । जिस पक्ष का पानी पहले समाप्त हो जाता है ,उसे हारा माना जाता है।
ऐसी होती है डोलची
डोलची गिलासनूमा होती है जो नीचे से सकरी तथा ऊपर से चौड़ी होती है । यह लोहे या चमड़े की बनी होती है। जिसमें एक लकड़ी का हत्था लगा होता है। डोलची में एक से डेढ लीटर तक पानी आता है। इसमें पानी भरकर तेजी से मारा जाता है और डोलची लगने के बाद सामने वाला कराह उठने को मजबूर हो जाता है ।
डोलची गिलासनूमा होती है जो नीचे से सकरी तथा ऊपर से चौड़ी होती है । यह लोहे या चमड़े की बनी होती है। जिसमें एक लकड़ी का हत्था लगा होता है। डोलची में एक से डेढ लीटर तक पानी आता है। इसमें पानी भरकर तेजी से मारा जाता है और डोलची लगने के बाद सामने वाला कराह उठने को मजबूर हो जाता है ।
भरता है मेला
डोलची मार होली के बाद लोग बाजार आते है फिर मेला शुरु होता है । मेले में आस-पास के दर्जनों गांवों के लोगों के मनोरंजन के लिए स्वांग भरते हैं। इन दिनों किसानों की फसल आती है और इस खुशी में किसान जमकर खरीदारी करते हैं ।
डोलची मार होली के बाद लोग बाजार आते है फिर मेला शुरु होता है । मेले में आस-पास के दर्जनों गांवों के लोगों के मनोरंजन के लिए स्वांग भरते हैं। इन दिनों किसानों की फसल आती है और इस खुशी में किसान जमकर खरीदारी करते हैं ।
तालबंदी की जगह ली जिकड़ी दंगल ने
होली महोत्सव पर कस्बे में होली की रात्रि कस्बे के लोग दो भागों में बंटकर तालबंदी मुकाबले में पक्के रागों का अलाप करते थे, लेकिन बदलते समय ने गत वर्षों से तालबंदी की जगह जिकड़ी दंगल कार्यक्रम ने ले ली है।
होली महोत्सव पर कस्बे में होली की रात्रि कस्बे के लोग दो भागों में बंटकर तालबंदी मुकाबले में पक्के रागों का अलाप करते थे, लेकिन बदलते समय ने गत वर्षों से तालबंदी की जगह जिकड़ी दंगल कार्यक्रम ने ले ली है।
मेले में होता है कुश्ती दंगल का आयोजन
मेले में नौगांवा ग्राम विकास समिति एवं ग्राम पंचायत की ओर से कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाता है। कुश्ती दंगल में जोर आजमाइश के लिए पहलवान महिनों से तैयारी करने में लग जाते हैं। दंगल में समीपवर्ती राज्य हरियाणा एंव दिल्ली के अखाडों से पहलवान यहां आकर जोर आजमाइश करते हैं।
मेले में नौगांवा ग्राम विकास समिति एवं ग्राम पंचायत की ओर से कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाता है। कुश्ती दंगल में जोर आजमाइश के लिए पहलवान महिनों से तैयारी करने में लग जाते हैं। दंगल में समीपवर्ती राज्य हरियाणा एंव दिल्ली के अखाडों से पहलवान यहां आकर जोर आजमाइश करते हैं।
बाहर से आने वालों को नहीं लगाते रंग
धुलंडी के दिन डोलची मार होली देखने के लिए आस -पास के इलाकों के लोग आते हैं। कस्बे के लोग बाहर से आने वाले लोगों को उनकी मर्जी के बिना रंग नही लगाते। ये लोग रंग बिरंगे परिधानों में होली देखने आते हैं।
धुलंडी के दिन डोलची मार होली देखने के लिए आस -पास के इलाकों के लोग आते हैं। कस्बे के लोग बाहर से आने वाले लोगों को उनकी मर्जी के बिना रंग नही लगाते। ये लोग रंग बिरंगे परिधानों में होली देखने आते हैं।