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ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर खेली जाती है डोलची मार होली #khulkekheloholi

नौगांवा की पहचान है डोलची मार होली

अलवरFeb 27, 2018 / 09:13 am

Prem Pathak

Dolchi Holi is played in Nauganava
नौगांवा. होली का नाम लेते ही जुबान पर बरसाने की लट्ठमार और फूलों की होली का जिक्र आता है, ऐसे में नौगांवा की डोलची मार होली भी लोगों में अपनी एक अलग पहचान लिए हुए है। आज भी कुर्ता फाड और डोलची मार होली मनाने का शौक रखने वाले लोग खुद को होली खेलने से नहीं रोक पाते है ।
राजस्थान के सिंहद्वार एवं मेवात अंचल का कस्बा नौगांवा जहां अपने परम्परागत त्योहारों के लिए दूर-दूर तक जाना जाता रहा है। वहीं ब्रज की लट्ठमार होली की तर्ज पर कस्बे की डोलची मार होली का तो कहना ही क्या। डोलची मार होली देखने को आस-पास के दर्जनों गांवों के लोग एकत्रित होते हैं। कस्बें में यह कार्यक्रम दो दिन तक मनाया जाता है। होली का त्योहार मनाने के लिए आजादी पूर्व से कस्बे के लोग दो भागों में विभक्त होते है। पहले दिन दोनों पक्षों के लोग ढोलों पर गीत ख्याल गाते हुए होलिका दहन स्थल पर पहुंचते है। यहां गांव के ख्ेाड़ापति की ओर से विधि विधान पूर्वक होलिका दहन की रस्म निभाई जाती है । यहां से चलकर सभी लोग चौपड़ा बाजार पहुंचते है। जहां पर शुरू होता है पक्के रागों का जिकड़ी दंगल का मुकाबला। जिकड़ी दंगल में कस्बा सहित दूर दराज से आने वाले कलाकार पूरी रात सुर ताल एवं लय के साथ अपना राग अलाप कर जौहर दिखाते हैं। पूरी रात जिकड़ी दंगल के बाद सुबह ग्राम पंचायत एवं नौगांवा ग्राम विकास समिति जिकड़ी पार्टियों को सम्मानित करती है।
ऐसे खेलते हैं डोलची मार होली
धुलंडी पर सुबह दस बजे तक रंग गुलाल की होली खेली जाती है। दस बजे ढोल नगाडों और डीजे की धुनों के साथ नाचते गाते लोग श्रीसीताराम मन्दिर चौक के लिए रवाना होते हैं। रास्ते में लोग इन पर रंग गुलाल डालते रहते हंै और कस्बे के लोग श्रीसीताराम मंदिर पहुंचते हैं । मंदिर के चौक में दो तरफ पर्याप्त मात्रा में पानी भरा जाता है। इस पानी में डोलची मार होली खेली जाती है। डोलची में पानी भरकर दूसरे पक्ष के लोगों पर तेजी से मारा जाता है । डोलची में भरे पानी की मार लटठ की मार के समान होती है । जिस पक्ष का पानी पहले समाप्त हो जाता है ,उसे हारा माना जाता है।
ऐसी होती है डोलची
डोलची गिलासनूमा होती है जो नीचे से सकरी तथा ऊपर से चौड़ी होती है । यह लोहे या चमड़े की बनी होती है। जिसमें एक लकड़ी का हत्था लगा होता है। डोलची में एक से डेढ लीटर तक पानी आता है। इसमें पानी भरकर तेजी से मारा जाता है और डोलची लगने के बाद सामने वाला कराह उठने को मजबूर हो जाता है ।
भरता है मेला
डोलची मार होली के बाद लोग बाजार आते है फिर मेला शुरु होता है । मेले में आस-पास के दर्जनों गांवों के लोगों के मनोरंजन के लिए स्वांग भरते हैं। इन दिनों किसानों की फसल आती है और इस खुशी में किसान जमकर खरीदारी करते हैं ।
तालबंदी की जगह ली जिकड़ी दंगल ने
होली महोत्सव पर कस्बे में होली की रात्रि कस्बे के लोग दो भागों में बंटकर तालबंदी मुकाबले में पक्के रागों का अलाप करते थे, लेकिन बदलते समय ने गत वर्षों से तालबंदी की जगह जिकड़ी दंगल कार्यक्रम ने ले ली है।
मेले में होता है कुश्ती दंगल का आयोजन
मेले में नौगांवा ग्राम विकास समिति एवं ग्राम पंचायत की ओर से कुश्ती दंगल का आयोजन किया जाता है। कुश्ती दंगल में जोर आजमाइश के लिए पहलवान महिनों से तैयारी करने में लग जाते हैं। दंगल में समीपवर्ती राज्य हरियाणा एंव दिल्ली के अखाडों से पहलवान यहां आकर जोर आजमाइश करते हैं।
बाहर से आने वालों को नहीं लगाते रंग
धुलंडी के दिन डोलची मार होली देखने के लिए आस -पास के इलाकों के लोग आते हैं। कस्बे के लोग बाहर से आने वाले लोगों को उनकी मर्जी के बिना रंग नही लगाते। ये लोग रंग बिरंगे परिधानों में होली देखने आते हैं।

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