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बच्चों पर डिजिटल खतरा: स्कूल होमवर्क के बहाने बच्चे बन रहे मनोरोगी

कोरोना काल में पढ़ाई के लिए शुरू की गई ऑनलाइन होमवर्क देने की परम्परा अब अभिभावकों के लिए परेशानी और दुविधा का कारण बन गई है। निजी स्कूलों ने हर क्लास का वॉट्सऐप ग्रुप बना रखा है, जिसमें होमवर्क के साथ अन्य स्कूली गतिविधियों की जानकारी दी जाती है।

अलवरJan 16, 2025 / 11:54 am

Rajendra Banjara

कोरोना काल में पढ़ाई के लिए शुरू की गई ऑनलाइन होमवर्क देने की परम्परा अब अभिभावकों के लिए परेशानी और दुविधा का कारण बन गई है। निजी स्कूलों ने हर क्लास का वॉट्सऐप ग्रुप बना रखा है, जिसमें होमवर्क के साथ अन्य स्कूली गतिविधियों की जानकारी दी जाती है।

कई निजी स्कूल छुट्टियों में छोटे बच्चों की भी ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन करते हैं। ऐसे में न चाहते हुए भी बच्चों को मोबाइल देना पड़ रहा है। बच्चों को होमवर्क के बहाने रील्स देखने और ऑनलाइन गेम्स की लत लग रही है। कुछ बच्चे तो आपत्तिजनक कंटेंट देखने लगते हैं। इस वजह से बच्चों की एकाग्रता, नींद और मेमोरी कम हो रही है। व्यवहार में भी कई तरह के बदलाव दिखाई दे रहे हैं। वे पढ़ाई से भटक रहे हैं।

स्कूल डायरी बीते दिनों की बात

कुछ साल पहले तक होमवर्क सहित सभी जरूरी सूचनाएं स्कूल डायरी के माध्यम से अभिभावकों तक पहुंचती थीं, लेकिन अब स्कूल डायरी व्यवस्था खत्म हो चुकी है। स्कूल हर सूचना वॉटसऐप या अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए विद्यार्थी और अभिभावकों तक पहुंचा रहे हैं। यहां तक कि स्कूल और अभिभावकों के बीच संवाद का साधन भी पूरी तरह डिजिटल बन गया है।

कोरोना के दौरान बच्चों को शिक्षा से जोड़े रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था स्कूलों में शुरू हुई थी। अब कोरोना जा चुका है इसलिए ऑनलाइन पढ़ाई को बंद किया जाना चाहिए।छोटे बच्चे मोबाइल होमवर्क के लिए लेते हैं लेकिन बीच में रील्स देखने लगते हैं और ऑनलाइन गेम्स की आदी बन जाते हैं। इसके साइइ इफेक्ट आने लगे हैं। जब बच्चे स्कूल जा रहे हैं तो ऑनलाइन वर्क नहीं दिया जाना चाहिए। – कमलेश सिंघल एडवोकेट, अध्यक्ष, अभिभावक संघ अलवर

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