आठ लेन के दिल्ली-मुंबई एक्सेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे के दिल्ली-अलवर-दौसा-लालसोट खंड का पिछले साल 12 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्घाटन किया था। लेकिन, एक साल बाद ही अलवर के राजगढ़ और हरियाणा के नूह क्षेत्र में सड़क उधड़ने लग गई है। हालांकि, एनएचएआई ने इन दोनों जगह पर ही सड़क की मरमत के लिए काम शुरू कर दिया है।
गुणवत्ता पर उठ रहे सवाल
हालांकि, एक साल में ही सड़क क्षतिग्रस्त होना निर्माण कार्य की गुणवत्ता को कठघरे में खड़ा करता है। केंद्र सरकार की ओर से 12 हजार 173 करोड़ रुपए की लागत से दिल्ली-मुबई एक्सप्रेस-वे का निर्माण कराया जा रहा है। एक्सप्रेस-वे के निर्माण कार्य का जिमा नेशनल हाइवे ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआई) के पास है। फैक्ट फाइल
कुल लंबाई-1382 किमी, कुल लागत-12173 करोड़ रुपए, अलवर जिले में दूरी-67 किमी, इंटरचेंज-शीतल व पिनान, गति सीमा-120 किमी प्रति घंटा, एक्सप्रेस-वे की चौड़ाई-8 लेन, निर्माण एजेन्सी-एनएचएआई
अब तक 100 से ज्यादा मौत
दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे वाहनों की अधिकतम निर्धारित गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा है, लेकिन यहां सर्विलांस सिस्टम कमजोर होने के कारण वाहन 150 से 200 किमी प्रति घंटा की ओवर स्पीड में दौड़ रहे हैं, जिसके चलते यह मौत का हाइवे बन चुका है। करीब एक साल में अलवर सीमा में ही यहां सड़क हादसों में 100 से ज्यादा लोगों की मौतें हो चुकी हैं। अब सड़क कई जगह क्षतिग्रस्त होने से हादसों का खतरा और बढ़ गया है।