विधानसभा क्षेत्र में हार का लगाएंगे पता अलवर जिले से कांग्रेस के जीते 6 विधायक, राष्ट्रीय महासचिव जितेन्द्र सिंह व जिलाध्यक्ष योगेश मिश्रा, जिला प्रमुख बलवीर छिल्लर सहित अन्य पदाधिकारी हारी सीटों वाले क्षेत्रों में जाकर नए, ब्लॉक अध्यक्ष, मंडल अध्यक्ष, हारे प्रत्याशी, पुराने कार्यकर्ता, क्षेत्र में निवासित संगठन पदाधिकारी से संवाद कर पार्टी प्रत्याशी की हार की समीक्षा करेंगे। ये पदाधिकारी रविवार को बहरोड़, सोमवार को कठूमर, 12 दिसम्बर को तिजारा जाकर समीक्षा करेंगे। इसी दौरान अलवर शहर व बानसूर सीट की समीक्षा भी होगी।
लोकसभा चुनाव से पूर्व समीक्षा जरूरी कांग्रेस के लिए विधानसभा चुनाव में पांच सीटों पर हार के कारणों का पता लगाना जरूरी है। कारण है कि हार के कारणों का पता चलने पर पार्टी हारी सीटों पर लोकसभा चुनाव को लेकर अपनी रणनीति में बदलाव कर सकेगी। अलवर लोकसभा क्षेत्र की आठ सीटों में से फिलहाल कांग्रेस के पास पांच सीटें हैं। इनमें अलवर ग्रामीण, रामगढ, मुंडावर, किशनगढ़बास एवं राजगढ़- लक्ष्मणगढ़ शामिल हैं। वहीं भाजपा के पास केवल तीन सीट बहरोड़, तिजारा एवं अलवर शहर है। यानी लोकसभा चुनाव की दृष्टि स वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य कांग्रेस के पक्ष में है। कांग्रेस अब हारी तीन सीटों पर फोकस कर लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुटेगी।
इसलिए भी अहम है लोकसभा चुनाव में जीत अलवर लोकसभा क्षेत्र से कांग्रेस पिछले एक दशक में एक बार उपचुनाव जीतने में कामयाब रही है। शेष दो लोकसभा चुनाव में उसे बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। विधानसभा चुनाव के बाद इस बार जिले का राजनीतिक परिदृश्य कांग्रेस के अनुकूल है। इस कारण कांग्रेस आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारी में अभी से जुटना चाहती है। लेकिन इस तैयारी के कांग्रेस को अलवर लोकसभा क्षेत्र की हारी तीन सीटों पर वर्चस्व कायम करने के लिए वहां कांग्रेस प्रत्याशियों की हार के कारणों का पता लगाना जरूरी है। यही कारण है कि पार्टी के बड़े नेता व चुने हुए विधायक खुद विधानसभा क्षेत्रों में जाकर हार का पता लगाने में जुटेंगे।