यह है प्रकरण चौपानकी थाना इलाके के गांव झिवाणा निवासी हरीश जाटव पुत्र रतिराम जाटव 16 जुलाई की रात को फलसा गांव में गंभीर घायल व अचेत अवस्था में पड़ा मिला। पुलिस ने उसे भिवाड़ी सीएचसी में भर्ती कराया। हालत गंभीर होने पर परिजन उसे इलाज के लिए दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ले गए। वहां 18 जुलाई को हरीश की मौत हो गई। इससे एक दिन पहले 17 जुलाई को पिता रतिराम ने फलसा गांव के कुछ लोगों के खिलाफ बाइक भिडऩे की बात पर हरीश के साथ गंभीर मारपीट करने का प्रकरण दर्ज कराया। वहीं, दूसरे पक्ष के जमालुदीन ने अपनी पत्नी हकीमन को बाइक से टक्कर मारने का मामला हरीश के खिलाफ दर्ज कराया था।
पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल इस पूरे मामले में पुलिस की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले के अगले दिन अलवर जिला पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख ने प्रेसवार्ता कर मॉब लिंचिंग की घटना से मना किया था। बिना जांच पड़ताल के एसपी परिस देशमुख ने यह कह दिया कि उसकी मौत मॉब लिंचिंग से नहीं बाइक से गिरने से हुई है। इसके बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि हरीश की मौत हेड इंजरी से हुई है। इसके बाद पुलिस को बयान बदलने पड़े और कहा कि पोस्टमार्टम की विशेषज्ञों से जांच कराई जाएगी। वहीं इस पूरे मामले में अब तक एक भी आरोपी पकड़ा नहीं जा सका है।