उन्हीं की आंखों में अंधकार की गहरी सुरंग लिए जी रही हैं बच्चियां!
नन्हें पैरों में छोटी पैजनिया पहन छम-छम छमाती, खिलखिलाती तारे की तरह टिमटिमाती,
बच्चियाँ भयभीत है पुरुष की परछाई से,
हाथों की कलाइयों में चूड़ियां खनखनाती,
हाथों में अपनी गुड़िया थामे,
पार्कों में खेलने जाती।
बच्चियां कैसे संभाले अपने देह के उस हिस्सो को,
जिनका देह हो जाना नहीं जानती वो।
जिसको तिनका-तिनका रौंदे जा रहा है विकृत मानसिकत भरा यह मर्द,
युद्ध सदियों से लड़े जा रहे हैं इस संसार में,
इतिहास के स्याह-सफेद सुनहरे पन्नों में,
मानवता की अनंतकाल में असभ्यताओं के खिलाफ सभ्यताओं का युद्ध,
इस अभिशप्त समय में जब दुख और पीड़ा हवा की लहरों पर सवार है
आस की लौ थरथरा उठी हैं
नारी जाति पर,
तब कुछ करना होगा
-बहनों कुछ करना होगा
-बहनों कुछ करना होगा