अलवर

कारगिल विजय दिवस विशेष: राठ के इन जवानों ने कारगिल युद्ध में दी थी शहादत

आज कारगिल विजय दिवस है। पूरा देश कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। कारगिल युद्ध में राजस्थान के कई सपूतों ने बलिदान दिया था। जिसमें राठ क्षेत्र के भी चार वीर जवानों ने कारगिल युद्ध में शहादत दी थी।
 

अलवरJul 26, 2023 / 11:54 am

Rajendra Banjara

Kargil Vijay Diwas

आज कारगिल विजय दिवस है। पूरा देश कारगिल युद्ध में शहीद हुए वीर सपूतों को याद कर उन्हें श्रद्धांजलि दे रहा है। इस युद्ध में देश के वीर सैनिकों ने अदम्य साहस दिखाते हुए पाकिस्तान के छक्के छुड़ा दिए थे। कारगिल युद्ध में राजस्थान के कई सपूतों ने बलिदान दिया था। जिसमें राठ क्षेत्र के भी चार वीर जवानों ने कारगिल युद्ध में शहादत दी थी।

अलवर जिले के नीमराणा के गांव बसई भोपालसिंहपुरा के सत्यवीर सिंह, रोड़वाल के नरेंद्र सिंह, मोहम्मदपुर मुण्डावर के सिपाही वेद प्रकाश और रायपुर मुण्डावर के सिपाही करण सिंह देश के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए थे। जिनकी शहादत पर पूरे क्षेत्र को नाज है। परिजन भी उनकी शहादत पर गर्व महसूस करते है। नीमराणा पंचायत समिति के गांव बसई भोपालसिंह में सत्यवीर सिंह का 15 अगस्त 1962 में जन्म हुआ। उनका बचपन से ही देश की सेवा करने का सपना था।

1982 में उनकी यह ख्वाहिश पूरी हो गई और वे 1982 में राजपूताना राइफल्स 2 बटालियन में सिपाही के पद पर भर्ती हो गए थे।इन शहीदो के परिवार में भी पहले से ही देश सेवा के लिए सेना में जाने का इतिहास बना हुआ है।

अकेले बोला दुश्मनों पर धावा

वीर सत्यवीर सिंह ने कारगिल के युद्ध में पराक्रम दिखाते हुए अपने साथियों को पीछे छोड़ते हुए अकेले ही दुश्मनों के बंकर पर धावा बोल दिया था। अपनी जान की परवाह न करते हुए वे दुश्मनों पर कहर बनकर टूटे और कई पाकिस्तानियों को मार गिराया। वे 28 जून 1999 को वीरगति को प्राप्त हो गए। उनकी शहादत से क्षेत्र के सभी लोगों की आंखें नम हो गई थी।


नरेंद्र को मिला अशोक चक्र

नीमराना क्षेत्र के रोड़वाल गांव को अब अशोक चक्र विजेता शहीद नरेन्द्र कुमार के गांव से जाना जाता है। कारगिल के युद्ध में शहीद हुए नरेंद्र की वीरता के किस्से आज भी गांव के बच्चे बड़े-बुजुर्गो की जुबां से सुनते हैं। नरेंद्र डेल्टा कम्पनी में सिपाही के पद पर थे। उस दिन पलटन की जगह बदल रही थी। दूसरी कम्पनी पहुंच गई थी चार्ज ले लिया गया था, रात को कारगिल चोटी से नीचे आ रहे थे लेकिन रात को करीब आठ बजे बमबारी शुरू हो गई। दोनों तरफ से गोलीबारी हुई और इसमें पलटन के आठ जवान शहीद हो गए। उनमें से एक नरेंद्र भी थे। नरेंद्र तब 23 वर्ष के थे।

युवा ले रहे है देश प्रेम की प्रेरणा

क्षेत्र में 15 अगस्त 1947 से अब तक 154 जवान देश के लिए शहीद होकर क्षेत्र का मान बढा चुके है। इन शहीदों की प्रतिमाएं गांव के बाहर लगी हुई है। जो गांव के युवाओं को देश रक्षा की व सेना के लिए गौरव बनने की प्रेरणा देने का काम कर रही है। परिजनों सहित ग्रामीण भी शहीदों की वीरता के किस्से युवाओं को सुनकर उनका देश प्रेम की भावना बढ़ाने का काम कर रहे है। बहरोड़ कस्बे में भी शहीदों की याद में उनको सम्मान देने के लिए विधायक बलजीत यादव के कोटे से शहीद स्मारक का निर्माण भी करवाया जा रहा है।

क्षेत्र का गौरव है शहीद

कारगिल में राठ क्षेत्र के चार जवानों ने शहादत देकर देश प्रेम की मिसाल पेश की है। गांवों में बने शहीद स्मारक और उसमें लगी प्रतिमाए युवाओं को सेना में जाकर देश सेवा करने की प्रेरणा दे रही है। स्कूलों के नाम शहीदों के नाम पर करने से छात्र छात्राएं प्रेरणा ले रहे है।

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