वहीं, आतंकी मॉड्यूल के पकड़े जाने के अगले दिन शुक्रवार को भिवाड़ी में कोई हलचल देखने को नहीं मिली। पुलिस नियमित कामकाज में व्यस्त रही। आतंकियों के ठिकाने के खंगालने के लिए पुलिस की ओर से कोई सर्च ऑपरेशन नहीं चलाया गया और न ही ग्रामीणों से आतंकियों के बारे में कोई पड़ताल की गई। दुर्गम जंगल और पहाड़ी से घिरे जिस सारेकलां गांव में आतंकियों ने ट्रेनिंग सेंटर बनाया हुआ था, वहां अब चारों ओर खामोशी छाई हुई है। उन पहाड़ों पर सिर्फ जंगली पशु ही विचरण करते हुए दिखाई दे रहे हैं।
आधे घंटे में ऑपरेशन पूरा
आंतकियों को पकड़ने में पुलिस ने मात्र आधा घंटा का समय लगाया। टीम ने चारों तरफ से पहाड़ को घेरा और मात्र आधे घंटे में ऑपरेशन को अंजाम दिया। चौपानकी थाने में जरूरी कार्रवाई करने के बाद टीम आतंकियों को दिल्ली लेकर रवाना हो गई।
नाके पर मिले दो जवान
पत्रिका टीम शुक्रवार को सारेकलां के जंगल एवं पहाड़ में पहुंची। सुबह 11 बजे के करीब यहां अजमेरी नाका से वाहनों का आवागमन होता मिला। नाका पर दो आरएसी के जवान तैनात मिले, जो कि रोड साइड में पेड़ की छांव में कुर्सी डालकर बैठे हुए थे। एक दिन पहले जिस इलाके में आतंक का इतना बड़ा मॉड्यूल पकड़ा गया वहां सुरक्षा व्यवस्था को लेकर कोई सख्ती दिखाई नहीं दी।