राज्य भर में पुलिस और प्रशासन की सांस फूली हुई हैं। हर जगह शांति समितियों की बैठकें हो रही हैं। लगातार शांति की अपील की जा रही हैं। क्योंकि 2 अप्रेल को सामाजिक सौहाद्र्र बिगड़ा था। अलवर सहित पूरे राज्य और उत्तर भारत में अधिकांश जगहों पर पिछले सोमवार से माहौल बिगडऩे के बाद हर शख्स आशंकाओं से घिरा हुआ है। 10 अप्रेल और 14 अप्रेल को माहौल न बिगड़े इसके लिए शांतिपसंद नागरिक, अधिकारी, जनप्रतिनिधि प्रयास कर रहे हैं। जबकि इस बीच कुछ लोग आग में घी डालकर और भड़का रहे हैं। अलवर शहर विधायक ने रविवार को जो बयान दिया वह जिले का माहौल खराब करने से अधिक कुछ भी नहीं है। किसी समुदाय विशेष के प्रति अचानक से विष वमन कर क्या साबित करना चाह रहे हैं? उन्होंने समुदाय विशेष के लोगों को नौकरियों पर नहीं रखने, उनसे दूरी बनाए रखने सहित कई सुझाव दे डाले। बयान देते वक्त लोगों को भड़काने में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब सभागार में चल रहे कार्यक्रम में ये बात कही तो कैमरा बंद करवाकर कहा कि अपने समाज की बात कर रहे हैं। बाद में वही बातें बाहर आकर कैमरे के आगे भी कह डाली। इस नाटकियता की वजह वो खुद ही जानें लेकिन इसका नतीजा क्या रहेगा? इससे विधायक बेखबर नहीं होंगे। जनप्रतिनिधि के लिए अपना पराया कोई नहीं हो सकता। संविधान के मुताबिक सभी हिंदुस्तानी हैं। अलवर की राजनीति को करीब से जानने वाले इस बयान के पीछे के मकसद को भांप सकते हैं। हाल ही हुए उपचुनाव परिणामों से भी चिंता बढ़ी है। चुनावों के दौरान जिस प्रकार से खुद विधायक को एक दो कार्यक्रमों में जनता का विरोध सहना पड़ा था। ऐसी बयानबाजी ध्रुवीकरण का प्रयास मानी जा सकती है। पहलू खां हत्याकांड मामले से लेकर आए दिन गोतस्करी के प्रकरणों के चलते कई लोग यहां राजनीतिक रोटियां सेकने से बाज नहीं आते हैं। बाहरी संस्थाएं भी यहां समुदायों में दरार डालने के लिए ताक लगाकर बैठी हैं। इधर, नगर परिषद के कारण शहर के हालात नरक जैसे हो गए हैं। किसी भी अधिकारी को यहां टिकना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। शहर पेयजल को लेकर त्रस्त है। आए दिन मटका फोड़ प्रदर्शन हो रहे हैं। विधायक जिन लोगों को खुश करने और नंबर बढ़ाने के लिए ऐसे बयान दे रहे हैं वे भी शायद इससे सरोकार न रखें। पार्टी को भी ऐसे बयानों पर स्थिति स्पष्ट कर देनी चाहिए। जिस समुदाय के लिए विधायक विष वमन कर रहे हैं, ह्यउसी समुदाय से उनकी पार्टी में कई नेता और यहां तक की राज्य में एक प्रभावशाली काबिना मंत्री भी हैं। जिनसे वे आए दिन शहर के कामों के सिलसिले में मिलते भी होंगे। विधायक ने कभी ये तो नहीं कहा कि मैं कभी समुदाय विशेष के मंत्री के पास किसी
काम के लिए नहीं जाऊंगा। मतलब कोरी बयानबाजी से लोगों को भड़काकर अपना ऊल्लू सीधा करना ही अब मकसद बनता जा रहा है। यदि जनता के सच्चे हितैषी हैं तो बिगड़ते माहौल को ठंडा करने के बयान दिए जाएं न कि आग में घी डालने वाले।