शहीद सूबेदार गिर्राज प्रसाद यादव की पार्थिव देह चार दिन बाद रविवार सुबह बानसूर के निकटवर्ती पैतृक गांव पहुंची तो माजरा अहीर में मातम छा गया। हर कोई अपनी आंखों से आंसू नहीं रोक पाया। पिता की पार्थिव देह देख बेटा-बेटी बेसुध हो गए। वहीं, शहीद पति के अंतिम दर्शन करने के दौरान वीरांगना भी बेहोश हो गई, जिसे महिलाओं ने संभाला।
शहीद का शव सुबह 8 बजे बानसूर के माजरा अहीर गांव लाया गया। जहां पर अंतिम दर्शन के बाद शहीद को सेना के जवानों ने सलामी दी। इससे बाद शहीद के सम्मान में तिरंगा यात्रा निकाली गई। भारत माता की जय और शहीद गिर्राज प्रसाद अमर रहे के जयकारों के साथ बाइक यात्रा निकाली गई। पार्थिव देह को करीब 9:30 अंतिम संस्कार के लिए मोक्ष धाम ले जाया गया।
शहीद के बेटे शोहित यादव ने पिता को मुखाग्नि दी। शहीद के अंतिम दर्शन करने बड़ी संख्या में लोग पहुंचे। इस मौके पर भाजपा नेता महेंद्र यादव, डीएसपी सत्यनारायण मीणा, हरसौरा थानाधिकारी प्रदीप यादव सहित आसपास के गांवों के सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
बता दें कि बलवा पोस्ट पर तैनात सूबेदार गिर्राज प्रसाद यादव की 4 अप्रैल को ड्यूटी के दौरान तबीयत बिगड़ गई थी। सांस लेने में तकलीफ होने के कारण उन्हें सैन्य हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां इलाज के दौरान सूबेदार ने अंतिम सांस ली। इस सेना के अधिकारियों ने फोन कर परिजनों को सूचना दी थी। तब से ही परिजनों को रो-रोकर बुरा हाल था। लेकिन, आज सुबह पार्थिव देह पैतृक गांव पहुंची तो परिजन बेसुध हो गए।
बता दें कि शहीद गिर्राज प्रसाद अक्टूबर 1996 में भारतीय सेना में भर्ती हुए थे। वे अरुणाचल प्रदेश में चाइना बॉर्डर स्थित बलवा पोस्ट पर 5 ग्रेडिनियर बटालियन में सूबेदार के पद पर तैनात थे। बानसूर के माजरा अहीर निवासी गिर्राज प्रसाद अपने चार-भाई बहनों में तीसरे नंबर के थे। उनके उनके एक बेटा और एक बेटी है।