अलवर जंक्शन पर तीन प्लेटफॉर्म है। यहां से रोजाना 74 सवारी ट्रेनें गुजरती हैं। जिनमें 8 से 9 हजार यात्री सफर करते हैं। इससे रेलवे को रोजाना लाखों रुपए की आय हो रही है, लेकिन जंक्शन की स्थिति यह है कि तीनों प्लेटफॉर्म पर पूरा टीनशेड तक नहीं है। ऐसे में यात्रियों को ट्रेन के इंतजार में शेड के बाहर खड़ा होना पड़ रहा है।
ट्रेन में बैठने के लिए लोग शेड के बाहर धूप में खड़े रहते हैं तथा बारिश आने पर भीगते हुए ट्रेनों में चढ़ते-उतरते नजर आते हैं तथा उनका सामान भी भीगता रहता है। वहीं, सर्दी के दौरान भी यात्री खुले आसमान के नीचे बैठकर ठिठुरते नजर आते हैं।
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न पंखे और न ही पानी-कुर्सी
अलवर जंक्शन पर जितने स्थान पर टीनशैड लगा हुआ है, केवल वहीं तक पंखे लगे हुए हैं। इसके बाद खुले स्थान पर यात्रियों के लिए कोई पंखे नहीं हैं। गर्मी में यात्री पसीना-पसीना होते रहते हैं। वहीं, जंक्शन के बिना शैड वाले प्लेटफॉर्म पर सुविधाओं का भी अभाव बना हुआ है। यहां यात्रियों के लिए न तो बैठने के लिए पर्याप्त कुर्सियां हैं और न ही पीने के पानी या स्टॉल आदि की कोई सुविधाएं नहीं हैं।
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अभी कुछ नहीं
रेल मंत्रालय ने देशभर के 84 रेलवे जंक्शनों को वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की घोषणा की है। जिसमें अलवर जंक्शन का नाम भी शामिल है। अलवर जंक्शन पर मल्टी स्टोरी बिल्डिंग, प्लेटफार्म की संख्या बढ़ाने, ट्रेनों के ठहराव की संख्या बढ़ाने, एस्केलेटर, लिफ्ट, फुट ओवरब्रिज सहित अन्य कई काम कराए जाना प्रस्तावित है, लेकिन अभी तक वर्ल्ड क्लास स्टेशन बनाने की दिशा में अलवर जंक्शन पर कोई काम शुरू नहीं हो सका है। उधर, रेलवे अधिकारियों का कहना है कि अलवर जंक्शन पर यात्रियों की सुविधाओं में विस्तार को लेकर प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं। लिफ्ट के टेंडर हो चुके हैं। जल्द ही अन्य प्रस्ताव तैयार कर काम शुरू कराया जाएगा।