राजीव गांधी अस्पताल में कुछ दिन पहले कुल 8 फिजीशियन थे। इनमें से एक वरिष्ठ फिजीशियन तीन माह की छुट्टी पर चल रहे हैं। डेपुटेशन पर लगे दो फिजीशियनों को गोविंदगढ़ लगा दिया गया है। जबकि एक कांटेक्ट पर लगे फिजीशियन ने नौकरी छोड़ दी है। अब केवल चार फिजीशियन बचे हुए हैं। इनमें से एक डॉक्टर छूट्टी पर रहते हैं। तीन डॉक्टरों में से एक को नाइट में कॉल डयूटी करनी पड़ती है। नाइट में डॉक्टर को तीन से चार बार आना पड़ता है। इसके अलावा तीनों डॉक्टरों को फीमेल मेडिकल वार्ड, मेल मेडिकल वार्ड, जेल वार्ड, मेडिकल आईसीयू, स्वाइन फ्लू वार्ड, फ्लोटिंग वार्ड सहित अन्य व्यवस्था देखनी पड़ती है। एेसे में अस्पताल में मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है व डॉक्टरों को भी खासी परेशानी होती है। रात में ड्यूटी करने वाला डॉक्टर को अगले दिन ड्यूटी करने में खासी दिक्कत होती है।
एमबीबीएस डॉक्टर सम्भालते हैं आउट डोर
एक फिजीशियन आउट डोर में रहता है। इसके अलावा आउट डोर के मेडिकल यूनिट में एमबीबीएस डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं। फिजीशियन की कमी के चलते वो आउट डोर में नहीं बैठ पाते हैं।
अस्पताल पर एक नजर
अस्पताल में प्रतिदिन 3 हजार से 3500 मरीजों की ओपीडी रहती है। छोटे बडे़ अस्पताल में कुल ११ वार्ड हैं। इनमें 400 के आसपासस मरीज भर्ती रहते हैं। फीमेल व मेल मेडिकल वार्ड ज्यादातर फुल रहते हैं।
सामान्य अस्पताल के प्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. भगवान सहाय ने बताया कि डॉक्टरों की सूचना स्वास्थ्य विभाग के मुख्यालय को दी गई है। डॉक्टरों की संख्या देखते हुए ही कुछ दिन पहले डेपुटेशन पर डॉक्टर लगाए गए थे। लेकिन अब उनका डेपुटेशन समाप्त कर दिया है।