अनिता जिले की राजगढ़ तहसील के गांव खिरत का बांस की रहने वाली है। वह बचपन से ही मूक बधिर है। पढ़ने में वह शुरू से मेधावी रही और दसवीं में 85 प्रतिशत अंक प्राप्त किए। अभी वह बारहवीं में पढ़ रही है। पिता लीलाराम गांव में बकरियां चराते हैं और मां भी घर में ही रहती हैं। झोपडी में ही बचपन बिताया है। वह पांच बहन भाइयों से चौथे नंबर पर है।
टीके में दूल्हे को मिले 5 लाख 51 हजार रुपए लौटाए, एक रुपया-नारियल लेकर किया विवाह
पिता शादी करना चाहते थे, वह पढ़ना चाहती है
माता पिता उसकी जल्दी शादी करना चाहते थे लेकिन उसने पढ़ने की जिद की तो उसे जयपुर के निजी स्कूल में पढ़ने लिखने के लिए भेज दिया। वह पढाई करके अपने पैरों पर खडा होना चाहती हैं। खेलकूद में बचपन से ही रूचि थी इसलिए स्कूल में खेलने का मौका मिला तो उसने मेहनत कर सफलता पाई।