संक्रमण बीमारी दस्तक देने का बना खतरा गंगा-यमुना से बाढ़ का पानी हट जाने से बाढ़ ग्रस्त क्षेत्रों और शहरी इलाकों में गंदगी जमा हो गई है। बाढ़ के चपेट के आए कई इलाकों में लोग फिर से घरों में रहना शुरू तो कर दिया है लेकिन रास्ते दलदली होने से लोगों की समस्या बनी है। लोग अपने घरों को साफ तो कर लिया है लेकिन घर के बाहर गंदनी की समस्या बनी है। एक तरफ जहां नगर निगम विभाग तो सफाई करने की बात कर रही है, वहीं दूसरी तरफ धरातल पर सफाईकर्मी नारारद हैं। गंदनी होने से वार्डों पर संक्रमण बीमारी फैलने का खतरा बना है।
कीटनाशक दवाओं का नहीं हुआ छिड़काव प्रयागराज बाढ़ ग्रस्त इलाका में रहने वाले श्याम बाबू यादव, बच्चा यादव ने यह आरोप लगाया है कि बाढ़ का पानी हटने के बाद भी नगर निगम का कोई कर्मचारी यहां झांकने तक नहीं आया। मच्छरों की वजह से जीना मुश्किल हो गया है। गंदगी से उठती दुर्गंध के कारण सांस लेना भी कठिन है। इससे संक्रामक बीमारियां फैल सकती है, लेकिन कीटनाशक का छिड़काव तक नहीं किया जा रहा है। इसी तरह से करेली, राजपुर, रसूलाबाद, फाफामऊ, गंगा नगर व बाढ़ से ग्रस्त कई अन्य इलाकों में छिड़काव नही किया गया है। बाढ़ प्रभावित इलाकों से पानी तो हट जरूर गया है, लेकिन लोगों की मुसीबत को बढ़ा गया है।
जिला अधिकारी संजय खत्री ने कहा कि बाढ़ ग्रस्त 100 अधिक गांव और 43 शहरी इलाकों में नगर टीम लगा दी गई है। इसके अलावा स्वास्थ्य टीम भी तैनात किए गए हैं। संक्रमण बीमारी का फैलाव न हो इसके लिए टीम काम कर रही है। इसके अलावा अगर कहीं शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।
इस तरह करें बचाव स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए जानकारी दी है कि बाढ़ ग्रस्त इलाकों में पानी हटने से मच्छरों का प्रकोप अधिक हो गया है। यहां रहने वाले लोग मच्छरदानी का इस्तेमाल करें। इसके अलावा घरों के आस-पास पानी का जमाव नहीं होने दें।